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बोले दीवान जैनुअल आबेदीन: चाहे जो हो जाए मरते दम तक मैं ही रहूंगा ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह दीवान,जानें क्यों कही उन्होंने ऐसी बात

त्र को केवल उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया है, दरगाह दीवान नहीं बनाया गया। आबेदीन ने कहा कि मरते दम तक दरगाह दीवान वे स्वयं ही रहेंगे।

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Dargah diwan says i will be the diwan forever in ajmer dargah

अजमेर . ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान जैनुअल आबेदीन की ओर से पुत्र नसीरूद्दीन को उत्तराधिकारी घोषित किए जाने को लेकर उपजे विवाद के 25 दिन बाद दरगाह दीवान आबेदीन ने चुप्पी तोड़ी।

उन्होंने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन बुला कर स्पष्ट किया कि पारिवारिक कारणों से पुत्र को केवल उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया है, दरगाह दीवान नहीं बनाया गया। आबेदीन ने कहा कि मरते दम तक दरगाह दीवान वे स्वयं ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि गलतफहमी के कारण दरगाह की रस्मों में व्यवधान उत्पन्न हुआ।

इसके लिए बेहद दु:ख है।

आबेदीन ने कहा कि आम लोगों में यह गलतफहमी फैलाई जा रही है कि मैंने अपने पुत्र को दरगाह दीवान के पद पर नियुक्त कर दिया है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने कि ख्वाजा गरीब नवाज के 806 वें उर्स के मौके पर पुत्र को अपना खलीफा, उत्तराधिकारी बनाया था जो चिश्तिया सूफी रिवायत की एक स्थापित परम्परा है और उत्तराधिकारी नियुक्त करना मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दरगाह दीवान के निधन के बाद दीवान या सज्जादानशीन पद की एक स्पष्ट प्रक्रिया है जिसे सर्वोच्च न्यायालय से मान्यता प्राप्त है।

आबेदीन ने कहा कि दरगाह में होने वाली रस्में दरगाह दीवान की नहीं अपितु ख्वाजा साहब की हैं। पिछले कुछ दिनों से गलतफहमी के कारण रस्मों जो व्यवधान आया है उसके लिए बेहद दु:ख है। किसी भी गलतफहमी का शिकार होकर ख्वाजा साहब की रस्मों में व्यवधान उत्पन होना चिश्तिया सूफी परम्परा को ठेस पहुंचाना है। दरगाह ख्वाजा साहब में परम्पराओं का निर्वहन चिश्तिया सूफी मत एवं सिद्धांतों के मुताबिक होना अनिवार्य है।