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Corona effect-हताशा और तनाव लील रहे जान

locationअजमेरPublished: May 31, 2020 03:00:28 am

Submitted by:

manish Singh

कोरोना काल के साइड इफेक्ट : लॉकडाउन-3 व 4 में बढ़े आत्महत्या के मामले, रियायत मिलते ही दौडऩे लगे वाहन, बढ़ा दुर्घटनाओं का आंकड़ा

Corona effect-हताशा और तनाव लील रहे जान

Corona effect-हताशा और तनाव लील रहे जान

मनीष कुमार सिंह.

अजमेर(Ajmer News). कोरोना संक्रमण काल में लगाए गए लॉकडाउन के साइड इफेक्ट अब हताशा और तनाव के बाद आत्महत्या की शक्ल में सामने आने लगे हैं। लॉकडाउन के 66 दिनों में अजमेर जिले में 70 से ज्यादा लोगों ने मौत को गले लगा लिया तो कुछेक की जिंदगी खत्म करने की कोशिशें नाकाम होने से उनकी जान बच गईं। लॉकडाउन के तीसरे चरण में मिली रियायतों के बाद आत्महत्या के मामले बढ़ गए। लॉकडाउन 3 व 4 के 28 दिन में अजमेर जिले में हुए 60 सड़क हादसों में तकरीबन इतनों की ही जान चली गई। इन हालात के लिए लॉकडाउन के कारण यकायक बढ़ी आर्थिक तंगी, काम-धंधे पर असर, बढ़ी हताशा और असुरक्षित भविष्य को लेकर बढ़े मानसिक उद्वेग और तनाव को भी कारण माना जा रहा है।
सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र
आत्महत्या के मामलों में अजमेर जिले में सर्वाधिक प्रभावित अलवर गेट, रामगंज व क्रिश्चियन गंज थाना क्षेत्र रहे। यहां लॉकडाउन के अंतिम चरणों में दो दर्जन से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली। अलवर गेट थाना क्षेत्र में धोलाभाटा, नगरा क्षेत्र व रामगंज थाना क्षेत्र में अजय नगर व आसपास की कच्ची बस्तियों में खुदकुशी के मामले देखे गए।
बढ़ गई दुर्घटनाएं
लॉकडाउन-3 में शुरू हुई शराब की बिक्री भी हादसों को बढ़ाने का कारण रही। राजमार्गों पर वाहनों की संख्या बढ़ते ही बेताहशा दौड़ते वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुए। महज 28 दिन में जिलेभर में 60 से ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हो गई। जिनमें लगभग इतनी ही मौत हुई।
लॉकडाउन अवधि में बंदिशें
1.0 21 दिन (25 मार्च से 14 अप्रेल) शराब, व्यसन उत्पाद की बिक्री बंद

2.0 18 दिन (15 अप्रेल से 03 मई) शराब, व्यसन उत्पाद की बिक्री बंद
3.0 14 दिन (04 मई से 17 मई) तम्बाकू उत्पाद बंद
4.0 14 दिन (18 मई से 31 मई) अंतिम चार दिन में तम्बाकू उत्पाद की बिक्री

यह है कारण

-शराबबंदी के बाद अचानक खुली दुकानें
-लॉकडाउन के अलावा तेज गर्मी में डिप्रेशन का मिलाजुला असर
-आर्थिक तंगी और काम धंधे पर असर
-लॉकडाउन से बढ़ी भविष्य को लेकर हताशा

-घरेलू विवाद बढऩे से निराशा

अवसाद से ऐसे बचें

-परिवार के साथ करें समस्याओं पर खुली चर्चा
-जिंदगी में रखें सकारात्मक सोच
-विपरीत हालात में रखें संयम
-रात में पूरी नींद लें

-परेशानी होने पर मनोचिकित्सक से करें परामर्श

इनका कहना है

अप्रेल-मई में मौसम बदलाव के साथ मनुष्य की मनोस्थिति में बदलाव आता है। दिमाग में डोपामिन रसायन बनता है। जिससे उदासीनता, कुंठा और चिड़चिड़ेपन के भाव आते हैं। सकारत्मक सोच रखनी चाहिए। मन में कभी निराशा का भाव न रखें।
डॉ. महेन्द्र जैन, विभागाध्यक्ष, मनोरोग विभाग जेएलएनएच
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