
Chaurasiawas pond
अजमेर. कभी पेयजल और खेतों की सिंचाई के काम आने वाला चौरसियावास तालाब का अस्तित्व ही अब खतरे में नजर आ रहा है। जिन पर इस तालाब को बचाने की जिम्मेदारी है वह खुद आंखे मूंदे हुए है। 250 साल पुराने ब्रिटिश कालीन इस ताबाब में पानी की आवाक के रास्ते पहले ही बंद कर दिए गए हैं। अब दिनोरात तालाब की खाली जमीन पर डम्पर व ट्रैक्टर ट्रॉली के जरिए मलवा डालकर इसे पाटा जा रहा है। स्मार्ट सिटी के तहत आसपास निर्माणाधीन सड़कों का वेस्ट मैटेरियल भी इसमें ही पटका जा रहा है। तालाब से लगती माकड़वाली रोड पर तो पहले से ही आसापास के लोगों ने मकान, दुकान तथा चारदीवारी कर अवैध निर्माण कर लिए हैं। यह अवैध निर्माण दिनोरात जारी है।
डम्पिग यार्ड बना तालाब
चौरसियावास तालाब इन दिनों डम्पिग यार्ड बनता जा रहा है। यहां आसपास के घरों सहित शहर के अन्य क्षेत्र के बिल्डिंग वेस्ट मैटेरियल ताबाब में ट्रैक्टर ट्रॉली के जरिए डाला जा रहा है। इस मलवे को समतल कर तालाब में सड़क भी बनाई जा रहा है जो आवाजाही के लिए उपयोग में ली जा रही है।
अतिक्रमण हटाने में एडीए नाकाम
यहां तक की चौरसियावास के तालाब की पाल पर भी मकान व बाड़े बना लिए गए हैं। बिजली व पानी के कनेक्शन भी ले लिए गए है। अजमेर विकास प्राधिकरण के अधिकारी तथा अभियंता तो अतिक्रमण हटाने के लिए बेदखली के आदेश जारी होने के बाद भी नाकाम साबित हो रहे हैं।
जगह-जगह हुए अतिक्रमण
रिहायशी क्षेत्र में विस्तार और अतिक्रमण के चलते तालाब में पानी नहीं पहुंच रहा है। माकड़वाली रोड-चौरसियावास रोड पर कई जगह नालों-पहाड़ी क्षेत्र में निर्माण कार्यों के चलते इसमेंपानी की आवक घट गई है। बरसात के दौरान पानी सीधे तालाब में पहुंचने के बजाय कॉलोनियों की सड़कों-नालियों में बह जाता है। ताबाल की पाल से लगती जमीनों पर दिनों दिन कब्जे कर दुकानों व गोदाम बनाए जा रहे है।तालाब पृथ्वीराज नगर योजना का भाग
चौरसियावास तालाब करीब 250 साल पुराना है। यह ब्रिटिशकाल में पेयजल और खेतों की सिंचाई के लिए बनवाया गया था। तालाब 1.5 हजार बीघा जमीन में फैला हुआ है। यह खातेदारी जमीन पर निर्मित है। इस जमीन को अजमेर विकास प्राधिकरण पृथ्वीराज नगर के लिए आवाप्त कर चुका है। अब यह तालाब पृथ्वीराज नगर योजना का भाग है।चौपाटी निर्माण की योजना ठंडे बस्ते मेंतत्तकालीन जिला कलक्टर आरती डोगरा ने चौरसियावास तालाब पर चौपाटी निर्माण की योजना भी बनाई थी । इसके लिए सर्वे भी हुआ लेकिन उनकी रवानगी के बाद स्मार्ट सिटी के अभियंताओं ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
पानी की आवक के स्त्रोत
तालाब में अरावली की पहाड़ी-नाग पहाड़ से बरसात के दौरान पानी आता है। इसके अलावा माकड़वाली के कांकड़ क्षेत्र से भी पानी की आवक होती रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पृथ्वीराज नगर बनने तथा उसमें सड़के बनाने से तालाब के पानी की आवाक रुक गई है। चौरसियावास गांव में भी नाड़ी में पानी की आवाक रुक गई है। तालाब के पूरा भरने पर यह ओवरफ्लो होता है। इसका पानी द्वारका नगर, वैशाली नगर, मानसरोवर कॉलोनी, श्रमजीवी कॉलेज-पेट्रोल पंप के निकट नाले से होता हुआ आनासागर में मिलता है।
Published on:
04 Jul 2021 07:49 pm
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