रेलवे में 89,409 खाली पद के लिए भर्ती अधिसूचना फरवरी में जारी की गई। इसके तहत 62 हजार 907 हेल्पर, ट्रेक मेंटेनर, पोर्टर, सहायक पाइंटमैन जैसे ग्रुप डी के पद भरे जाने थे। इसके अलावा सहायक लोको पायलट एवं तकनीशियन के 26 हजार 502 पद के लिए भी आवेदन मांगे गए। इसकी प्रारंभिक लिखित परीक्षा अपे्रल अथवा मई में ली जानी थी, लेकिन नौकरी के लिए आए बेशुमार आवेदन की वजह से रेलवे की तमाम व्यवस्थाएं पहले कदम पर ही चरमरा गई।
दरअसल रेलवे में ग्रुप डी की भर्ती के लिए खुली बम्पर भर्ती के लिए अभ्यर्थियों की संख्या को देखते हुए रेलवे बोर्ड भी हतप्रद रह गया। 62 हजार 907 खाली पद के लिए यूं तो न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मात्र दसवीं पास थी, लेकिन पोर्टर, खलासी, ट्रेकमैन और पाइंटमैन सरीखे पद के लिए उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त बेरोजगार भी लाइन में लग गए। हालत यह है कि ग्रुप डी भर्ती के लिए आवेदकों की संख्या एक करोड़ 90 लाख पार कर गई। सहायक लोको पायलट और तकनीशियन ग्रेड के लिए भी कमोबेश हालत ऐसे ही हैं। लगभग 26 हजार पद के लिए आवेदकों की संख्या लगभग 48 लाख है। यही वजह है कि अधिसूचना जारी होने के चार माह बाद भी रेलवे बोर्ड परीक्षा की तिथि तय नहीं कर पा रहा है।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन परीक्षा पद्धति अब तक काफी कारगार मानी जाती रही है। पिछले कुछ वर्षों से देश के समस्त भर्ती बोर्ड और आयोग ऑनलाइन परीक्षा (कम्प्यूटर बेस्ड एक्जॉम) को प्राथमिकता दे रहे हैं। हाल ही में एसएससी सहित कुछ अन्य परीक्षाओं में परीक्षा केन्द्र संचालकों और जालसाजों की मिलीभगत के मामले सामने आने के बाद रेलवे बोर्ड की चिंता बढ़ गई है। अनुमान के अनुसार ढाई करोड़ अभ्यर्थियों की परीक्षा पूरे देश में एक साथ लगभग डेढ़ से दो माह तक चलेगी। ऐसे में एक भी जगह पेपर आउट अथवा अनुचित साधनों के उपयोग की घटना होते ही पूरी परीक्षा प्रणाली पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा। इसी संभावित जोखिम की वजह से लगभग ढाई करोड़ अभ्यर्थियों की परीक्षा प्रक्रिया फिलहाल अटकी हुई है।
परीक्षा तिथि को लेकर फिलहाल कुछ तय नहीं है। लगभग ढाई करोड़ अभ्यर्थियों की एक साथ परीक्षा और नकल के हाईटेक मामले सामने आने के बाद हर तरह से फुलपू्रफ परीक्षा प्रणाली होना जरूरी है। सब तरफ से आश्वस्त होने के बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। अगले महीने परीक्षा तिथि को लेकर कुछ डवलपमेंट होने की संभावना है।