नगर निगम के अफसरों की भूमिका सवालिया, निगम अधिवक्ता ने मानी गलती अजमेर नगर निगम के प्रॉपर्टी सर्वे टेंडर को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान ट्रांसपरेंसी इन पब्लिक प्रोक्यूरमेंट रूल्स (आरटीपीपी) के नियमों का उल्लंघन मानते हुए स्थगन आदेश दिए हैं।
अजमेर. अजमेर नगर निगम के प्रॉपर्टी सर्वे टेंडर को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान ट्रांसपरेंसी इन पब्लिक प्रोक्यूरमेंट रूल्स (आरटीपीपी) के नियमों का उल्लंघन मानते हुए स्थगन आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में गत दिनों सुनवाई की थी। इसमें प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता के प्रस्तुत दस्तावेज़ में नियमों की अवहेलना बताने के आधार पर स्थगन आदेश दिए। मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी। राजस्थान पत्रिका ने निविदा प्रक्रिया में अनियमितता को लेकर 4 अक्टूबर 2023 को खबर प्रकाशित की थी।
याचिकाकर्ता संजय गुप्ता का कहना था कि निगम प्रशासन मनमानी करते हुए चहेती फर्मों को निविदाएं देना चाह रहा है। टेंडर में भागीदारी करने वाली दूसरी फर्मों की आपत्तियों को नहीं सुना जा रहा। याशी कंसलटिंग सर्विसेज प्रालि. ने हाईकोर्ट में निगम की टेंडर आकलन समिति व टेंडर डॉक्यूमेंट और तकनीकी शर्तों को चैलेंज किया था।
निगम अधिवक्ता नें मानी गलतीऑल इंडिया लोकल गवर्नमेंट सोसायटी को दिए गए कार्य आदेश को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई में नगर निगम के एडवोकेट ने स्वीकार किया कि टेंडर तैयार करने में नगर निगम से गलती हुई है। इससे निगम के संबंधित अफसरों की कार्यप्रणाली, प्रक्रिया और कार्य क्षमता भी गंभीर रूप से सवालिया हुई है।
निचले अधिकारी को बनाया अपीलीय अधिकारी
याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि यह ऐसा पहला टेंडर है जिसमें अमानत राशि टेंडर जमा करवाने की अंतिम तिथि तक जमा नहीं करवाए जाने एवं इसके 5 दिन बाद की तारीख में जमा कराने का मामला उठाया गया तो निगम प्रशासन ने अपील सुनने के लिए नगर निगम ने निचले स्तर के अधिकारी को अपीलीय अधिकारी बना दिया। जिसे कोर्ट ने एक्ट का उल्लंघन मानकर मामले में आगामी सुनवाई तक स्थगन आदेश जारी कर दिया।