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Ajmer central jail-मैडम तक सुविधा शुल्क पहुंचाता था जेल प्रहरी केसाराम

अजमेर सेन्ट्रल जेल बंदियों से सुविधा शुल्क वसूली प्रकरण : चार्जशीट में हुआ खुलासा, जेल अधीक्षक तक वसूली की रकम पहुंचाता था केसाराम

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अजमेर

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Manish Singh

Oct 25, 2019

Ajmer central jail-मैडम तक सुविधा शुल्क पहुंचाता था जेल प्रहरी केसाराम

Ajmer central jail-मैडम तक सुविधा शुल्क पहुंचाता था जेल प्रहरी केसाराम

मनीष कुमार सिंह. अजमेर.

सेंट्रल जेल अजमेर में बंदियों से सुविधा शुल्क वसूली मामले में मुख्य प्रहरी केसाराम बिचौलिए की भूमिका निभाता था। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से अदालत में पेश की गई चार्जशीट में तत्कालीन जेल अधीक्षक नीलम चौधरी ने सुविधा शुल्क वसूली के खेल में पर्दे के पीछे रहते हुए सबको अपने हिसाब से काम बांट रखा था। 'मैडमÓ तक वसूली की रकम पहुंचाने की जिम्मा केसराम के जिम्मे था।एसीबी की ओर से पेश चार्जशीट के पन्ने पलटने व मोबाइल ट्रांसक्रिप्ट में चौकाने वाले खुलासे हुए है। मुख्य जेल प्रहरी पद पर पदोन्नति से पूर्व केसराम का तबादला 28 मई को टोंक जिला कारागृह में हो गया लेकिन इसके बाद भी वह सेंट्रल जेल में 'मैडमÓ के बंगले पर सेवाएं देता रहा। फिर 17 जून को मुख्य प्रहरी के पद पर पदोन्नत होने के बाद उसको कारागार प्रशिक्षण केन्द्र में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया लेकिन उपस्थिति दर्ज करवाने के बाद कम्प्यूटर प्रशिक्षण के नाम पर अजमेर सेन्ट्रल जेल लौट आया। वह जेल अधीक्षक नीलम चौधरी की सरकारी गाड़ी चलाने के साथ सजायाफ्ता कैदी दीपक उर्फ सन्नी, शैतान सिंह, रमेश उर्फ रामेश्वर व अन्य की मिलीभगत से बंदियों से वसूली करता था। एसीबी की चार्जशीट उसके साथ दीपक उर्फ सन्नी, शैतान सिंह, रमेश सहित अन्य के साथ मोबाइल कॉल रिकॉर्डिंग सामने आई है। इसमें बंदियों से लेनदेन से लेकर प्रतिबंधित सामान भीतर पहुंचाने, किससे-कितना लेनदेन तक का खुलासा है। साथ में 'मैडमÓ तक हिस्सा राशि पहुंचाने तक का जिक्र है।

'मैडमÓ का 'राजदारÓ
एसीबी पड़ताल में सामने आया कि वसूली प्रकरण में जेल अधीक्षक नीलम चौधरी का राजदार मुख्य जेल प्रहरी केसाराम था। वह 'मैडमÓ की सरकारी गाड़ी का चालक था। अजमेर सेन्ट्रल जेल की सरकारी गाडी के लॉगबुक में 11 मई को जेल अधीक्षक के ब्यावर उप कारागृह का निरीक्षण किया जाना पाया जबकि ब्यावर उप कारागृह के रिकॉर्ड में निरीक्षण का जिक्र तक नहीं है। केसाराम के मोबाइल ट्रांसक्रिप्ट में उसी दिन जेल अधीक्षक नीलम चौधरी के हेमंत भाटी के साथ में जयपुर जाने की बात सामने आई।

तबादले से मची खलबली

वसूली के खेल में खलल तब पड़ा जब जेल अधीक्षक नीलम चौधरी मैडम के तबादले की सुगबुगाहट हुई। सेन्ट्रल जेल से हाइसिक्योरिटी जेल तबादला होते ही खेल में शामिल बंदी व जेल प्रहरियों में हड़कम्प मच गया। प्रहरी संजय सिंह ने 1 जुलाई को बंदी व लंगर इंचार्ज शैतानसिंह की ट्रांसक्रिप्ट में 'मैडमÓ के रिलीव होने, प्रतिबंधित सामग्री हटाने, 'मैडमÓ का जून का हिसाब करने की बात कही गई है।

भूल जाओ 70 हजार
जेल प्रहरी संजयसिंह व शैतानसिंह में 5 जुलाई को मोबाइल पर बातचीत हुई। संजय ने शैतान सिंह से 'मैडमÓ का तबादला होने के बाद वसूली का हिसाब-किताब रखने की बात कही। सन्नी से बातचीत में सिविल लाइन में दर्ज प्रकरण को मैनेज करने व शैतानसिंह ने सन्नी को करतारसिंह की ओर से दी गई रकम 70 हजार रुपए को भूल जाने व किशन से 50 हजार रुपए दिलाने की बात सामने आई।

'मैडमÓ के बाद 50-50
जेल अधीक्षक नीलम चौधरी के तबादले के बाद जेल प्रहरी संजय सिंह ने सजायाफ्ता कैदी शैतान सिंह से मिलीभगत कर हिस्सा राशि आधी-आधी करने का ताना-बाना बुन चुके थे। इसके लिए संजय और शैतान सिंह जेलर कालूराम को 5 से 30 हजार रुपए में अपने सपोर्ट में लेने की बात कही थी।

नए अधीक्षक से सिफारिश

एसीबी के मोबाइल ट्रांसक्रिप्ट में बंदी शैतान सिंह व प्रहरी केसाराम के बीच एक जुलाई को हुई बातचीत में शैतान सिंह ने केसाराम के जरिए 'मैडमÓ से नए जेल अधीक्षक को सिफारिश करने की बात कही गई है। उसने केसाराम को नए जेल अधीक्षक नरेन्द्र सिंह के हिसाब से सबकुछ व्यवस्था करने का विश्वास दिलाया।

'मैडम ने बोल दिया तो जेलर कौनÓ

अजमेर सेन्ट्रल जेल में बंदियों से सुविधा शुल्क वसूली प्रकरण में बंदियों को बैरक की बजाय कोठरी में रखकर प्रताडि़त किया जाता था। उन्हें कोठरी में रखने और बाहर निकालने का फैसला जेल अधीक्षक नीलम चौधरी ही करती थी। 'मैडमÓ के बोलने के बाद जेलर भी फैसला नहीं पलट सकते थे। 'मैडमÓ के आदेश की पालना में सजायाफ्ता बंदी बंदियों को कोठरी से अंदर-बाहर करने का काम करते थे। तीन जून को सजायाफ्ता बंदी शैतान और दीपक उर्फ सन्नी के बीच हुई बातचीत के कुछ अंश में स्पष्ट है-
शैतान-हैलो।

सन्नी-हां जी।
शैतान-हां बोलो।

सन्नी-क्या यार, तुम बहुत लेट हो जाते हो अन्दर यार।
शैतान-(अपशब्द बोलते हुए) उसको उसी में बंद कर दिया था न।

सन्नी-किसको?
शैतान-रामअवतार को।

सन्नी-रामअवतार को किसने?
शैतान-कोठरियां खाली करवा दी न आज।

सन्नी-बहुत अच्छी बात है।
शैतान-(अपशब्द बोलते हुए) मैडम ने दिन में बोल दिया था, शाम को वहां ही बंद कर दिया।

सन्नी-अच्छा किसने बोलाष
शैतान-(अपशब्द बोलते हुए) वो ही कालूराम चीफ (जेलर)।

सन्नी-अरे चीफ तो वैसे इतना सीधा है।
शैतान-अरे वो कालूराम (अपशब्द बोलते हुए)।

सन्नी-(अपशब्द बोलते हुए) कालूराम को कुछ मिल गया होगा इसलिए कर दिया होगा।
शैतान-हां।

सन्नी-फिर क्या हुआ?
शैतान-मैं गेट आ गया, फिर प्रकाश्या को बोला ये कौनसी फिल्म है?

सन्नी-हूं।
शैतान-फोन लगाकर बात करूंगा अभी तो क्या हुआ बात तो बता।

सन्नी-इसको (अपशब्द बोलते हुए) कुछ भी नहीं बोला करो दोनों तरफ चलता है।
शैतान-मुझे कुछ नहीं कहना तू मेरी बात करा दे।

सन्नी-हां ये ही बात आपने सही बोली।
शैतान-(अपशब्द बोलते हुए) मैंने उसको वापस वहीं बंद कर दिया है।

सन्नी-हूं।
शैतान-मैंने तो मैडम को कह दिया कि उसको कोठरी से बाहर निकाल दें।

सन्नी-अच्छा, फिर क्या हुआ?

शैतान-फिर जेलर को फोन कर किसने कहा आपको वापस बंद करने के लिए जेलर ने बोला कि सामान बहुत है।

सन्नी-जेलर कौन होता है जब मैडम ने बोल दिया तो जेलर कौन?


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