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अजमेर में 2500 हैक्टेयर वन क्षेत्र से हटाएंगे ‘ विषझाड़’

-पत्रिका अभियान के बाद जागा वन महकमा-अजमेर जिले के ब्यावर, किशनगढ़ और सरवाड़ रेंज से हटाए जाएंगे विलायती बबूल, लगाएंगे घास, फल व छायादार पेड़

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Juliflora will be removed 2500 hectares of forest area in Ajmer

अजमेर में 2500 हैक्टेयर वन क्षेत्र से हटाएंगे ' विषझाड़',अजमेर में 2500 हैक्टेयर वन क्षेत्र से हटाएंगे ' विषझाड़'

अजमेर.

प्रदेश के वनक्षेत्रों में विषबेल की तरफ फैले जूलीफ्लोरा (विलायती बबूल) को अब वन विभाग ने हटाने की तैयारी कर ली है। यह कवायद प्रदेश में शुरू हो चुकी है। अजमेर जिले में ढाई हजार हैक्टेयर वन क्षेत्र से जूलीफ्लोरा (विलयाती बबूल) को हटाया जाएगा। वन विभाग ने मुख्यालय को प्रारूप बनाकर भेजा है।

भूजल के साथ वन्यजीवों के लिए नुकसानदायक जूलीफ्लोरा को वन विभाग ने हटाने का निर्णय किया है। पहले चरण में अजमेर जिले के ब्यावर, किशनगढ़ व सरवाड़ वन रेंज में 2500 हजार हैक्टेयर से विलायती बबूल हटाए जाएंगे। इनको हटाने के बाद यहां मवेशियों के लिए घास, फल व छायादार पौधे रोपने की कवायद होगी। इसमें सर्वाधिक सरवाड़ वन रेंज से 1200 हैक्टेयर से विलायती बबूल हटाने व उनकी जगह फल, फूलदार व छायादार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है।

सरवाड़ में सर्वाधिक-

वन विभाग ने तीन वन रेंज के 5 हजार 749.7 हैक्टेयर में से 2 हजार 500 हैक्टेयर वन क्षेत्र से जूलीफ्लोरा को हटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें सर्वाधिक वन क्षेत्र सरवाड़ रेंज का 1200 हैक्टेयर है। शेष 1300 हैक्टेयर में ब्यावर व किशनगढ़ वन क्षेत्र शामिल है।

तीन रेंज में है चरागाह-

ब्यावर, किशनगढ़ व सरवाड़ रेंज में शामिल वन्य क्षेत्र चरागाह वनखण्ड है। यहां वन विभाग की ओर से इसे घास व चराई प्रबंध सर्किल के रूप में जाना जाता है। इन क्षेत्रों से जूलीफ्लोरा हटाने के साथ जहां घास, फल, फूल के पौधे रोपे जाएंगे।

सिर्फ ईंधन के रूप में इस्तेमाल-

जानकारों की मानें तो जूलीफ्लोरा की लकड़ी सिर्फ ईंधन के रूप मे काम ली जाती है। इसके अलावा जूलीफ्लोरा का वन क्षेत्र में कोई प्रभावी कार्य नहीं है, बल्कि वाइल्ड लाइफ में वन्य जीवों के लिए उसका कांटा घातक साबित होता है।


कहां कितने क्षेत्र से हटेगा जूलीफ्लोरा-

ब्यावर रेंज में जालियां(जोगी बीड़) 39.66 में से 25 हैक्टेयर, घाटेड बीड़ में 410.75 में से 350, जालियां (तहसीलदार बीड़) 40.47 में से 25, जालियां में 80.94 में से 50 व सरगांव में 299.22 में से 250 हैक्टेयर वन क्षेत्र से जूलीफ्लोरा हटाया जाएगा। किशनगढ़ रेंज में डीडवाड़ा के 177.91 हैक्टेयर में से 130, बांदरसिन्दरी के 254.5 में से 180, जोधावाला के 40.11 में से 20, मियावली जंगलात के 42.5 में से 20, बीड़ बरना के 195.08 में से 100 और लाम्बा में 669.34 हैक्टेयर में से जूलीफ्लोरा को हटाया जाएगा।सरवाड़ रेंज में बीड़ ढसूक 252.52 हैक्टेयर में से 100 हैक्टेयर, बीड़ सूपा के 206.27 में 100, घास बीड़ गैर गुंजा में 809.0 हैक्टेयर में 200 हैक्टेयर से विलायती बबूल हटाने का काम चल रहा है। इसी तरह मुंडेलाव के 220.15 हैक्टेयर में से 100, गोठियाना बीड़ में 219.6 में 50, अर्निया जालियां में 182.548 में से 100, बीड़ सांपला में 87.27 में से 50, घास बीड़ धानवा में 403.68 में से 50, डांग की जंगलात 142.4 में से 50, राताकोट के 974.88 में से 400 हैक्टेयर वन क्षेत्र से विलायती बबूल को हटाया जाएगा।


इनका कहना है-

जूलीफ्लोरा उन्मूलन के लिए मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा है। शुरुआत में 2 हजार 500 हैक्टेयर वन क्षेत्र से जूलीफ्लोरा को हटाकर उस पर छायादार, फल, फूल के पौधे लगाए जाएंगे।

-सुदीप कौर, उप वन संरक्षक अजमेर वन मंडल