रक्तिम तिवारी/अजमेर. सांभर झील (sambhar lake) में प्रवासी पक्षियों की एवियन बोटुलिज्म बीमारी से बड़े पैमाने पर मृत्यु का मामला सुर्खियों में है। इसको लेकर अजमेर में भी पक्षियों के व्यवहार और जलवायु का अध्ययन जारी है। यहां के पर्यावरणविदें ने अजमेर में प्रवासी पक्षियों के व्यवहार को सामान्य बताया है।
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सांभर झील में एवियन बोटुलिज्म बीमारी से प्रवासी पक्षियों (migartory birds) की मौत का मामला देश-दुनिया में चर्चा में है। इसको लेकर केंद्र और राज्य स्तरीय टीम, वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् अध्ययन में जुटे हैं। अजमेर में भी आनासागर, फायसागर, किशनगढ़ की गूंदोलाव झील और अन्य जलाशयों (water bodies) में प्रवासी पक्षी आते हैं। इसको लेकर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के शोधार्थी (scholors)-विद्यार्थी (student) और शिक्षक जलवायु और पक्षियों के व्यवहार का अध्ययन कर रहे हैं।
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जलवायु और व्यवहार सामान्य
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर ने बताया कि सांभर झील में बड़े पैमाने पर नमक उत्पादन (salt production) होता है। बरेली और बीकानेर के विशेषज्ञों ने एवियन बोटुलिज्म बीमारी को पक्षियों की मृत्यु (death) कारण बताया है। अजमेर में विभाग के शोधार्थियों-विद्यार्थियों ने आनासागर, फायसागर, किशनगढ़-गूंदोलाव झील का अध्ययन किया है। जिले में जलवायु और पक्षियों में बीमारी अथवा व्यवहार में बदलाव नहीं दिखा है।
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भरपूर आएंगे प्रवासी पक्षी
प्रो. माथुर ने बताया कि प्रवासी पक्षी प्रतिवर्ष हजारों मील दूर साइबेरिया, रूस और अन्य देशों से भारत पहुंचते हैं। यहां खासतौर पर दिसंबर से मार्च तक मौसम (weather) इनके लिए मुफीद होता है। इस बार भी पक्षियों की अच्छी आवक होगी। यहां पक्षियों को नम भूमि (wet land) और आसपास के जलाशयों में आसानी से खाद्य पदार्थ (food) उपलब्ध है। इनमें सागर विहार कॉलोनी से सटा उथला क्षेत्र, पुष्कर रोड-विश्राम स्थली, गौरव पथ-क्रिश्चयनगंज इलाका शामिल है। पक्षियों में बीमारी के लक्षण भी सामने नहीं आए हैं।
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लेकिन इनसे पक्षियों को नुकसान…
-पर्यावरण बदलाव से प्रवासी पक्षियों के आवास, प्रजनन और अन्य क्षमताएं प्रभावित
– प्लास्टिक और दूषित पदार्थों के चलते भोजन की कमी
-जैव विविधता में कमी से घट रही पक्षियों की आवक
-खत्म हो रहे पक्षियों के प्राकृतिक आवास
– मोबाइल टावर, बिजली के तार, ऊंची इमारतों से पक्षियों को नुकसान