… तो हाथी पर आएंगी
देवीभागवत पुराण में भी कहा गया है कि अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी। वहीं शनिवार और मंगलवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा हो तो माता रानी अश्व पर आती हैं। वहीं शनिवार और मंगलवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी कलश स्थापना हो, तब माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं। बुधवार के दिन नवरात्र पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरूढ़ होकर आती हैं।
देवीभागवत पुराण में भी कहा गया है कि अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी। वहीं शनिवार और मंगलवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा हो तो माता रानी अश्व पर आती हैं। वहीं शनिवार और मंगलवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी कलश स्थापना हो, तब माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं। बुधवार के दिन नवरात्र पूजा आरंभ होने पर माता नाव पर आरूढ़ होकर आती हैं।
उथल-पुथल संभव इस बार नवरात्र का आरंभ शनिवार को हो रहा है। ऐसे में देवीभागवत पुराण के श्लोक के अनुसार माता का वाहन अश्व होगा। अश्व पर माता का आगमन छत्रभंग, पड़ोसी देशों से अशांति, आंधी तूफान लाने वाला होता है। ऐसे में आने वाले साल में कुछ राज्यों में सत्ता में उथल-पुथल हो सकता है। सरकार को किसी बात से जन विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है।
नवरात्र में कई विशेष योग बनेंगे
17 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि योग 18 अक्टूबर त्रिपुष्कर योग 19 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि योग 20 अक्टूबर कुमार व रवि योग
24 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि योग 25 अक्टूबर रवि योग एवं दशहरा मुहूर्त स्वयं सिद्ध मुहूर्त
17 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि योग 18 अक्टूबर त्रिपुष्कर योग 19 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि योग 20 अक्टूबर कुमार व रवि योग
24 अक्टूबर सर्वार्थ सिद्धि योग 25 अक्टूबर रवि योग एवं दशहरा मुहूर्त स्वयं सिद्ध मुहूर्त