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हाइवे पर ‘काल’ बन भटकता लावारिस गोवंश

जिले से गुजरने वाले मार्गो पर लगा रहता है जमघट, कई बार हो चुके हैं हादसे प्रशासन रोकने में नाकाम

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हाइवे पर ‘काल’ बन भटकता लावारिस गोवंश

हाइवे पर ‘काल’ बन भटकता लावारिस गोवंश

हिमांशु धवल

अजमेर. अजमेर जिले से गुजर रहे राष्ट्रीय राजमार्गो पर लावारिस गोवंश के कारण कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। जिले के अधिकांश मार्गों पर यही स्थिति बनी हुई है। किशनगढ़-हनुमानगढ़ मेगा हाइवे पर नागौर जिले के कुचामन के निकट शनिवार को एक गोवंश के के सामने से आने से मिनी बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इससे 13 लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। इसके बावजूद लावारिस गोवंश की समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो रहा है।

अजमेर जिले से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग हो चाहे गली-मोहल्ले सभी जगह लावारिस गोवंश का जमावड़ा लगा रहता है। भूख-प्यास के कारण वह भटकते हुए मुख्य मार्गो तक पहुंच जाते है। इनके रोड पर बैठ जाने के कारण के कारण रात्रि के समय में तो दिखाई नहीं देते है। अजमेर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर तो हालात बहुत खराब हैं। बालाजी मंदिर के सामने हमेशा जमावड़ा लगा रहता है। इसके कारण कई बार दुर्घटना हो चुकी है। यही स्थिति शहरों में भी बनी हुई है। कुचान जैसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

यह है मुख्य कारण
- दूध निकालने के बाद खुली छोडऩा

- सांड और बछड़ों का उपयोग नहीं होना
- पशुओं का लालन-पालन महंगा होना

- गांवों में खेतों को नुकसान पहुंचाने के कारण
- गौशाला संचालकों की लापरवाही के कारण

यह हो सकता है समाधान

- चरागाह क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए
- गोशालाओं की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए

- कांजी हाउस की संख्या बढ़ाई जाए
- गौ-पालकों पर जुर्माना राशि बढ़ाई जाए

इन मार्गो पर भी जमावड़ा

- अजमेर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग
- अजमेर -बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग

- किशनगढ़ से हनुमानगढ़ मेगा हाइवे
- अजमेर से भीलवाड़ा जाने वाला मार्ग

चरागाह को अतिक्रमण मुक्त कर होनी चाहिए व्यवस्था
लावारिस गोवंश की समस्या के समाधान के लिए चरागाह को अतिक्रमण मुक्त कर व्यवस्था की जानी चाहिए। खेती-बाड़ी में सांड और बैल आदि का भी उपयोग नहीं हो रहा है। ऐसे में अच्छी नस्ल को छोडकऱ लावारिस घूमने वाले सांड और बैल का बधियाकरण किया जाना चाहिए। साथ ही दुधारू पशुओं को रोड पर खुला छोडऩे वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जानी चाहिए। गोशालाओं को अधिक सुविधा उपलब्ध कराने पर ही इस समस्या का समाधान हो सकता है। कांजी हाउस से छोड़ी जाने वाले लावारिस पशुओं को जंगल में ही छोड़ा जाना चाहिए, जिससे वह राजमार्गों आदि पर लौटकर नहीं आ सके।

- सी.पी. कटारिया, सेवानिवृत्त नगर निगम अधिकारी


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