दिनेश कुमार शर्मा
अजमेर.
उसका जीवन खेल-तमाशा के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है। सुबह दिन निकलते ही उसका यह खेल-तमाशा शुरू होता है और देर शाम तक चलता रहता है। इसी से उसके पूरे परिवार के दो वक्त की रोटी का जुगाड़ होता है।
इसके बावजूद उसने मन में एक आशा पाल रखी है कि बड़ी होकर मास्टरनी बनूंगी और सबको पढ़ाऊंगी, जिससे सबको नौकरी मिले और किसी को खेल-तमाशा दिखाने को मजबूर नहीं होना पढ़े।
कुछ ऐसी ही कहानी है रीना की, जो पुष्कर में रस्सी पर करतब दिखाकर लोगों का मनोरंजन कर रही है। इसी से उसके परिवार का गुजारा चल रहा है। मात्र छह साल की है रीना।
परिवार में माता-पिता व दो छोटे भाई भी हैं। सभी इन दिनों पुष्कर में करतब दिखाकर देसी-विदेशी पर्यटकों का मनोरंजन कर रहे हैं।
माता-पिता जहां ऊंचे बांसों पर रस्सियां बांधकर म्यूजिक प्लेयर पर पुराने गाने बजाकर उसका सहयोग करते हैं, वहीं रीना इस रस्सी पर हैरतअंगेज करतब दिखाती है, जिसे देख विदेशी सैलानी भी दंग रह जाते हैं।
रस्सी पर गजब का संतुलन
सात साल की रीना जमीन से 10-12 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित रस्सी पर गजब का संतुलन बनाए रखती है।
वह न सिर्फ इस रस्सी पर पैदल चल पाती है, बल्कि बाइक के रिम, थाली में घुटने रख बैठकर और कांच की बोतल के जरिए चलकर, लोहे के छोटे गोले में से निकलने सहित कई हैरतअंगेज करतब दिखाती है।
शिक्षा पर भी ध्यान
छत्तीसगढ़ के रायपुर से आई रीना की मां गीता ने बताया कि परिवार पालने के लिए करतब दिखाना उनका पुश्तैनी काम है, लेकिन अब वे बच्चों की पढ़ाई पर भी ध्यान दे रहे हैं।
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रीना की बड़ी बहन को उन्होंने दसवीं तक पढ़ाया और उसकी शादी कर दी। अब रीना भी तीसरी कक्षा में पढ़ रही है।
इसे भी वे खूब पढ़ाएंगे। आम दिनों में वे मेहनत मजदूरी कर परिवार पाल लेते हैं, लेकिन पुष्कर समेत कुछ अन्य मेलों में करतब दिखाने से अतिरिक्त आमदनी हो जाती है, जिससे परिवार चलाने में आसानी हो जाती है। पुष्कर में भी 10 दिन में वे करीब 10-12 हजार रुपए कमा लेते हैं।
सरकार से मिले सहयोग
सरकार ऐसे बच्चों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दे
इन बच्चों का हुनर निखारकर रोजगार दिलाया जाए
ये बच्चे बेहतरीन जिम्नास्ट साबित हो सकते हैं
खेलों का प्रशिक्षण दिलाकर इनकी प्रतिभा निखारें