दो सौ वर्षों के उपरान्त हम देखते हैं कि सर सैयद का अलीगढ़ आन्दोलन और एम0ए0ओ0 कॉलेज की स्थापना दरअसल मुसलमानों के शैक्षिक सशक्तिकरण की थी। इसमें कोई शक नहीं कि सर सैयद मुसलमानों का विज्ञान आधारित संशक्तिकरण चाहते थे, परन्तु सर सैयद ने शैक्षिक आन्दोलन में सामाजिक सुधार को एक बहुत महत्वपूर्ण अंग माना है। सर सैयद ने आक्सर्फोड और कैम्ब्रिज की तरह आवासीय शिक्षा पर जोर दिया था ताकि छात्रों का सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकसित हो सके।
आज जब हम सर सैयद की 200वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तब यह विचार करने की आवश्यकता है कि क्या अलीग बिरादरी और विशेष रूप से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने सर सैयद के सपनों को साकार किया है अथवा हम उद्देश्य मे कहीं भटक गए है? सर सैयद अलीगढ़ मुस्लिम समाज में व्याप्त कुरीतियों और धार्मिक अन्धता को समाप्त करना चाहते थे। सर सैयद का मानना था कि हिन्दुस्तानी मुसलमानों ने सैकड़ों गैर-इस्लामी रीति रिवाजों को अपना रखा है, जिन्हें उन्हें समाप्त करना चाहिए ताकि उनका दिमाग खुल सके। सर सैयद मुसलमानों में व्याप्त कुरीतियों के भी विरोधी थे। उनका मानना था कि विवाह और अन्य सामाजिक उत्सवों के अवसर पर जिस प्रकार मुसलमान अपव्यय करते हैं, वह उचित नहीं है और उसे बन्द किया जाना चाहिए। इसी प्रकार सर सैयद ने कहा था कि सभी दिमागी बीमारियों मे चापलूसी सबसे अधिक खतरनाक बीमारी है। सर सैयद के अलीगढ़ आन्दोलन में स्वच्छता एक महत्वपूर्ण अंग है। वे बोर्डिंग हाउस में छात्रों के स्वच्छ रहने का न केवल आदेश देते थे बल्कि यह जांच भी करते रहते थे। एम॰ए॰ओ॰ कॉलेज की स्थापना में उन्होंने पेड़ पौधों पर बहुत अधिक ध्यान दिया और आज भी अमुवि परिसर हरियाली के क्षेत्र मे स्वयं एक उदाहरण है। सर सैयद न केवल व्यक्तिगत रूप से छात्रों के व्यक्तित्व को विकसित करना चाहते थे, बल्कि वे सामाजिक रूप से भी मुसलमानों का सुसंस्कृत समाज बनाना चाहते थे।
आज सर सैयद की 200वीं वर्षगांठ के अवसर पर जब अमुवि जगमगा रहा है, तब हमें यह विचार करने की आवश्कता है कि क्या अलीगढ़ बिरादारी और अमुवि सर सैयद के उद्देश्य को धरातल पर लागू करने में सफल रहे? मेरा मत है कि आज अमुवि अन्य विश्वविद्यालयों की तरह केवल शिक्षा प्रदान कर रहा है न कि सर सैयद के उद्देश्यों को पूरा कर रहा है अथवा उनके सपनों को साकार कर रहा है। इसी प्रकार अलीगढ़ बिरादरी भी सर सैयद के विचारों और अलीगढ़ आन्दोलन को आगे बढ़ाने में असफल रही है। सर सैयद ने तत्कालीन ब्रिटिश काल मे सकारत्मक कार्यनीति अपनाई थी जिसके परिणाम स्वरूप वे अमुवि की स्थापना मे सफल रहे। वर्तमान सामाजिक राजनीतिक परिस्थतियों मे हम गौर करते हैं कि अलीगढ़ बिरादरी सर सैयद के अलीगढ़ आन्दोलन के महत्वपूर्ण तत्वों को समाज मे फैलाने में विफल रही है। क्या आज हम बृहद रूप से पेड़-पौधे लगाकर देश के पर्यावरण को बचाने का प्रयत्न नहीं कर सकते है? पर्यावरण पर हमारी नस्लें निर्भर करती हैं, परन्तु हमने इस क्षेत्र मे कोई भी योगदान नहीं दिया। इसी प्रकार देश में स्वच्छता के प्रति भी हम गम्भीर नहीं है।
सर सैयद ने एक विज्ञान आधारित मुस्लिम समाज की कल्पना की थी और कहा था कि हमारे बुजुर्गों के लिए यह आसान कार्य था कि वे मस्जिद में बैठकर विभिन्न विषयों पर चर्चा करें, परन्तु वर्तमान समय में हमारा पुराना दर्शन और चिन्तन आज की समस्याओं को हल नहीं कर सकते । हम किसी भी बात को यूं ही स्वीकार नहीं कर सकते जब तक उसका कोई वैज्ञानिक आधार न हो। परन्तु वर्तमान समय में भी हम केवल बातें कर रहे हैं और पुरानी मान्यताओं से चिपके हुए हैं। अलीगढ़ बिरादरी अथवा अमुवि ने एक मुस्लिम समाज में विज्ञान आधारित चिन्तन को बढ़ावा देने में कोई भूमिका अदा नहीं की है।
-डॉ. जसीम मोहम्मद
पूर्व मीडिया सलाहकार, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय