हाईकोर्ट ने बलिया पीडी इंटरकालेज के अध्यापक की याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने दिया है। मामले में याची को विद्यालय प्रबंधन समिति ने वर्ष 1990 में नियुक्त किया था। नियुक्ति के समय धनंजय ने विभाग को शिक्षा विशारद प्रशिक्षण प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया था। जानकारी के अनुसार सन 2020 में अनामिका शुक्ला के एक नाम पर कई फर्जी शिक्षिकाओं का नियुक्ति प्रकरण सामने आने के बाद शासन ने प्रदेश भर में राजकोष से वेतन प्राप्त कर रहे शिक्षकों के अभिलेखों की जांच का आदेश दिया था। उसी कड़ी में धनंजय सिंह की डिग्री पकड़ में आई थी।
विभाग ने फरवरी 2021 में याची की सेवा समाप्त करते हुए वेतन वसूली का आदेश दिया था। बर्खास्तगी आदेश को याचिका में चुनौती देते हुए याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सेवा समाप्ति से पूर्व न तो विभागीय जांच की गई और न ही इंटरमीडिएट एक्ट के प्रविधानों का पालन किया गया। हाईकोर्ट ने याची के अधिवक्ता के तर्को में बल पाया। कोर्ट ने याची को बहाल करने का आदेश देते हुए कहा कि उसे बर्खास्तगी अवधि का वेतन यथाशीघ्र प्रदान किया जाए। हालांकि विभाग को दोबारा विधि सम्मत कार्यवाही की छूट भी दी गई है।