
Allahabad Highcourt said stop dirty water from going to Ganga
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार गंगा में गंदा पानी जाने से रोकने के लिए योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में लगभग एक हजार किलोमीटर तक गंगा किनारे बसे 27 शहरों के दूषित गंदे पानी को गंगा में जाने से रोकने की योजना बनाई जानी चाहिए। मामले में एक साथ कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने पूछा कि जब अधिकतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर के भीतर निर्माण पर रोक है, इसके बावजूद अवैध निर्माण कैसे हो रहे हैं। कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
छह जनवरी को अगली सुनवाई
कोर्ट ने प्राधिकरण के हलफनामे को तस्वीर के स्पष्ट न होने के कारण उसे वापस कर दिया गया। वहीं, वाराणसी में गंगा पार नहर निर्माण व काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण से गंगा घाटों को खतरे तथा कछुआ सेंक्चुरी को लेकर नियुक्त न्यायमित्र अरुण कुमार गुप्ता की आपत्ति को कोर्ट ने गंभीरता से लिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि कछुआ सेंक्चुरी को शिफ्ट करने की कोशिश समझ से परे है। इस पर याची अधिवक्ता, न्यायमित्र, केंद्र व राज्य सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जल निगम, नगर निगम आदि विपक्षियों द्वारा हलफनामे दाखिल किए गए। छह जनवरी को मामले की अगली सुनवाई होगी।
Published on:
07 Dec 2021 04:46 pm
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