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शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर प्रयागराज में संगम तट पर स्थित अलोप शंकरी शक्ति पीठ में वही तैयारियों को अंतिम रुप दिया जा गया। माँ जगत जननी के 51 शक्तिपीठों में शामिल अलोप शंकरी शक्ति पीठ की बड़ी मान्यता है। इस शक्ति पीठ में वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। वहीं नवरात्रि के नौ दिनों में दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पूजा अर्चना करने आते हैं। इस शक्ति पीठ का नाम अलोप शंकरी है । यह देवी स्थल इसलिए भी सबसे खास है क्यों की यहाँ कोई मूर्ति नहीं है। बल्कि मंदिर में एक चबूतरा बना हुआ है और उसके उपर एक झूला यानि पालना है।
मंदिर के मुख्य पुजारी विवेक भारती के अनुसार लोगों का विश्वास है कि मंदिर के कपाट बंद होने के बाद भी झूला चलता रहता है। इस पालने को लाल कपड़े से ढ़का जाता है। पालने के नीचे एक कुंड बना हुआ है। जिस कुंड के जल को चमत्कारिक शक्तियों वाला माना जाता है। शक्ति पीठ को लेकर मान्यता है कि मां पार्वती के सती होने के बाद जब उन्हें भगवान शंकर ले जा रहे थे। तब उनके हाथ का पंजा यहां पर गिरकर अदृश्य हो गया था। इसी वजह से इसे अलोप शंकरी का नाम दिया गया। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में आकर सच्चे मन से की गई पूजा अर्चना कभी व्यर्थ नहीं जाती और मां अलोप शंकरी सभी भक्तों की मनोकामनायें पूरी करती हैं।