
इलाहाबाद हाईकोर्ट: सीआरपीसी की धारा 82 और 83 के तहत उद्घोषणा की जाती है तो अग्रिम जमानत अर्जी है सुनवाई योग्य
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी आरोपी द्वारा अग्रिम जमानत याचिका दायर करने के बाद सीआरपीसी की धारा 82 या 83 के तहत उद्घोषणा या कुर्की की कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू की जाती है तो यह ऐसी जमानत याचिका पर विचार करने पर रोक नहीं लगाती है। मामले में जस्टिस राजेश सिंह चौहान की खंडपीठ ने मनीष यादव को अग्रिम जमानत दे दी है जो भारतीय सेना में सेवारत एक सैन्यकर्मी है और उस पर बलात्कार का मामला दर्ज किया गया है।
मामले में जमानत आवेदक ने अप्रैल 2022 में निचली अदालत के समक्ष एक अग्रिम जमानत आवेदन दायर किया था और इसे 30 अप्रैल 2022 को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद, उद्घोषणा सीआऱपीसी की धारा 82 के तहत निचली अदालत ने 9 मई, 2022 यानी उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद जारी किया था।
मामले में अभियुक्त बने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में गया, तो कोर्ट के समक्ष यह प्रश्न था कि क्या वह अग्रिम जमानत का हकदार है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में यह माना है कि एक व्यक्ति जिसके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 82 और 83 के तहत उद्घोषणा जारी की गई है वह अग्रिम जमानत का लाभ पाने का हकदार नहीं होगा।
धारा 82 फरार व्यक्ति के खिलाफ उद्घोषणा जारी करने की प्रक्रिया पर विचार करता है। धारा 83 फरार व्यक्ति की संपत्ति कुर्क करने की बात करती है। कोर्ट की टिप्पणियां शुरुआत में, कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों का हवाला दिया है।
Published on:
19 Jul 2022 02:47 pm
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