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इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- गवाहों की गवाही के साथ ही जांच करते समय सावधानी और सतर्कता है जरूरी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में रुचि रखने वाले गवाहों के बयानों में गंभीर विसंगतियां पाते हुए, जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने अक्टूबर 2014 के एएसजे, महोबा द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा, जिसके तहत धारा 387, 307/34, 452, 323/34 और 427 आईपीसी के तहत अपराधों के लिए दो आरोपियों को बरी कर दिया गया था।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- गवाहों की गवाही के साथ ही जांच करते समय सावधानी और सतर्कता है जरूरी

इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- गवाहों की गवाही के साथ ही जांच करते समय सावधानी और सतर्कता है जरूरी

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए आपराधिक घटनाओं में जांच को लेकर आपत्ति दर्ज करते जोर देकर कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान इच्छुक गवाहों की गवाही की अतिरिक्त सावधानी और सतर्कता से जांच की जानी चाहिए। हत्या के प्रयास के मामले में निचली अदालत के बरी करने के आदेश के खिलाफ शिकायतकर्ता द्वारा दायर एक अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले में रुचि रखने वाले गवाहों के बयानों में गंभीर विसंगतियां पाते हुए, जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने अक्टूबर 2014 के एएसजे, महोबा द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा, जिसके तहत धारा 387, 307/34, 452, 323/34 और 427 आईपीसी के तहत अपराधों के लिए दो आरोपियों को बरी कर दिया गया था।

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इसी मामले में शिकायकर्ता ने थाने में रिपोर्ट दी थी कि जब वह अपने घर जा रहा था, हरिराम प्रजापति और धीरेंद्र सिंह ने शिकायतकर्ता को पकड़ लिया और उस पर बंदूक, लात-घूंसों से हमला किया और कहा कि वे उसे तभी छोड़ेंगे जब वह 10,000 रुपये देगा।

इसके बाद उन्होंने ने बंदूक निकालकर जान स्व मारने की धमकी देने लगे।छुड़ाकर घर भागने की कोशिश किया तो पिस्टल से फायरिंग कर दी गई। गोली कनपटी को छूते हुए निकल गईं। उसके बाद आरोपी घर मे घुसकर परिजनों को लात घुसे से पीटा और घर का सामान भी नष्ट कर दिया। मामले में पुलिस को शिकायत करके मुकदमा दर्ज कराया और आरोपी के खिलाफ धारा 387, 307/37, 452, 323/34, 427 आईपीसी के तहत आरोप पत्र पेश किया गया। इसके बाद सुनवाई के बाद कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।

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मामले में कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में अभियोजन पक्ष ने मुख्य रूप से 3 गवाहों, पीडब्लू-1, 2 और 4 की जांच की, जो शिकायतकर्ता, उसकी मां और उसकी बहन हैं। इसके अलावा, अदालत ने इच्छुक गवाहों की गवाही में कमियां भी पाईं और इसलिए, यह माना गया कि अभियोजन पक्ष के गवाह भरोसेमंद नहीं लगते हैं।