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आखिर टल गया यह बड़ा चुनाव, विपक्ष मना रहा खुशियां

locationप्रयागराजPublished: Oct 22, 2019 06:06:00 pm

-आज होना था पदाधिकारियों का चुनाव

Student council election canceled in Allahabad University

आखिर टल गया यह बड़ा चुनाव, विपक्ष मना रहा खुशियां

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लंबे समय तक चले आंदोलन और विरोध के बाद विश्वविद्यालय में छात्र परिषद का चुनाव आखिर में नही हो सका। विश्वविद्यालय प्रशासन की लंबी कवायद के बावजूद छात्र परिषद का गठन नहीं किया जा सका। जिसे छात्र संघ के पदाधिकारी और छात्र नेता अपनी बड़ी जीत मान रहे हैं।वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन छात्र नेताओं पर छात्र परिषद के गठन ना होने का ठीकरा फोड़ रहा है।

आंदोलन से गिफ्तारी तक
विश्वविद्यालय में छात्रसंघ को समाप्त कर विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र परिषद के गठन का निर्णय लिया था। जिसका विरोध विश्वविद्यालय में महीनों से चल रहा था। पचास दिनों तक आंदोलन चलने के बाद 8 दिनों तक छात्र नेताओं ने सामूहिक भूख हड़ताल की । इसके बाद छात्र नेताओं को जबरन अनशन स्थल से हटाकर अस्पतालों में भर्ती कराया गया । इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र परिषद के गठन की तिथियों की घोषणा की । वहीं छात्र नेता उग्र प्रदर्शन को उतर आए छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय में कुलपति के खिलाफ जमकर हंगामा काटा। जिसमें छात्रों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस प्रशासन को कई बार लाठीचार्ज करना पड़ा । आंदोलन इस कदर बढ़ा कि 200 से ज्यादा छात्रों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए दर्जनों छात्र अभी भी जेल में बंद है । लेकिन छात्र नेताओं के इस आंदोलन और अनशन के चलते छात्र परिषद के लिए नामांकन करने वाले छात्र बैकफुट पर आए । ज्यादातर उम्मीदवारों ने नामांकन वापस लिए इसके बाद छात्र परिषद के गठन की प्रक्रिया शुरू होते ही समाप्त हो गई।

छात्र परिषद के लिए नही मिलें उम्मीदवार
हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अभी तक छात्र परिषद को रद्द करने का औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है। लेकिन नामांकन वापस लेने के बाद उम्मीदवारों के ना होने पर छात्र परिषद के चुनाव को समाप्त माना जा रहा है। बता दें कि छात्र परिषद के गठन के लिए चुनाव अधिकारी प्रोफेसर आरके सिंह को बनाया गया था । नामांकन वापस लेने के बाद कक्षा प्रतिनिधि के लिए बचे दो प्रत्याशियों के अयोग्य घोषित होने के बाद छात्र परिषद का चुनाव ही अघोषित रुप से रद्द हो गया है। विवि में कक्षा प्रतिनिधियों का 21 अक्टूबर को होने वाले मतदान के लिए कोई प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में नहीं बचा।

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आज होना था चुनाव
जबकि इन्ही चुने हुए प्रतिनिधियों में से ही 22 अक्टूबर को अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री संयुक्त सचिव और सांस्कृतिक सचिव का चुनाव होना था। ऐसे में छात्र परिषद का गठन अब अधर में लटक गया है। बता दें कि आठ जून को विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रसंघ बैन कर छात्र परिषद का गठन कर दिया था। जिसके बाद से ही सभी छात्र संगठन छात्र परिषद का विरोध करते आ रहे थे। छात्र परिषद के गठन के लिए कुल 70 कक्षा प्रतिनिधि चुने जाने थे। लेकिन 70 पदों के लिए कुल 17 प्रत्याशियों ने ही नामांकन कराया था। जबकि नामांकन वापसी के आखिरी दिन 17 अक्टूबर की शाम तक 15 उम्मीद्वारों ने पर्चा वापस ले लिया था और चुनाव लड़ने से पीछे हट गए थे। जिसके बाद कक्षा प्रतिनिधि के लिए मैदान में दो ही उम्मीद्वार बचे थे। इनमें से भी परास्नातक प्रथम वर्ष की छात्रा शबीहा खातून के नामांकन पर आपत्ति दर्ज करायी गई थी कि वह किसी अन्य विश्वविद्यालय से बीएड की पढ़ाई भी कर रही हैं। इस आधार पर उसका नामांकन भी खारिज हो गया। जबकि दूसरे प्रत्याशी विधि संकाय के परास्नातक द्वितीय वर्ष के छात्र वागीश शुक्ला ने भी विवि प्रशासन को शपथ पत्र देकर चुनाव न लड़ने की इच्छा जता दी थी। इन हालातों में कक्षा प्रतिनिधि के लिए चुनाव मैदान कोई उम्मीद्वार ही नहीं बचा। कक्षा प्रतिनिधियों के न चुने जाने से विश्वविद्यालय प्रशासन जहां बैक फुट पर आ गया है।

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