
UP election 2022: अखिलेश यादव के दांव से प्रयागराज की इस सीट पर टिकी सबकी नजर, मुसीबत में पड़ सकते हैं भाजपा मंत्री नंद गोपाल नंदी, जाने सियासी समीकरण
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक है और सभी राजनीतिक पार्टियां पूरे दमखम से चुनाव प्रचार में जुटे हैं। हर पार्टी यूपी के 403 विधानसभा सीट पर दमदार प्रत्याशी उतारने में जुटे हैं। प्रयागराज के 12 विधानसभा सीट पर सपा और भाजपा की जोरदार टक्कर है। इसी क्रम में आइए जानते है प्रयागराज की शहर दक्षिण विधानसभा सीट का हाल। इस सीट से भाजपा के दिग्गज मंत्री नंद गोपाल नंदी प्रत्याशी है तो वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऐसा दांव खेला कि भाजपा मंत्री सीट फ़स सकती है। समाजवादी पार्टी इस सीट पर सेंधमारी करने की कोशिश में जुटी है। बीजेपी मंत्री नंद गोपाल नंदी के खिलाफ सपा ने रईश चंद्र शुक्ल को टिकट देकर मैदान में उतार दिया है।
पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी का रहा पांच बार कब्जा
प्रयागराज के सियासत में केशरी नाथ त्रिपाठी का बड़ा नाम है। शहर दक्षिणी विधानसभा सीट पर पांच बार लगातार विधायक रहे और उसके भाजपा सरकार में राज्यपाल पद पर जिम्मेदारी का निर्वहन किया। प्रयागराज शहर दक्षिण विधानसभा पर केशरीनाथ त्रिपाठी के बाद इस सीट पर नंद गोपाल गुप्ता नंदी के गढ़ में तब्दील हो गई। 2007 के विधानसभा चुनाव में नंद गोपाल गुप्ता बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए। नंद गोपाल गुप्ता ने बीजेपी के दिग्गज केशरी नाथ त्रिपाठी को करीब 13 हजार वोट के अंतर से हराया। मायावती ने नंद गोपाल गुप्ता नंदी को इस जीत का इनाम भी दिया और अपने नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया। उसके बाद नंद गोपाल नंदी ने भाजपा में गए और 2017 में फिर चुनाव जीता और कैबिनेट मंत्री बने।
विधानसभा में इन वोटरों का है वर्चस्व
जिले की वीआईपी सीट कहे जाने वाली शहर दक्षिणी विधानसभा सीट व्यापारी बाहुल्य है। इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता की भी बहुत भारी संख्या हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में सिद्ध पीठ मां ललिता देवी और मां कल्याणी देवी का मंदिर प्रमुख है। विधानसभा क्षेत्र में लगभग कुल चार लाख मतदाता है। यह अनुमान लगाए जाएं तो यहां सबसे अधिक ब्राह्मण, बनिया, दलित, खत्री और कायस्थ मतदाता हैं।
भाजपा और सपा में है टक्कर
2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से दूसरी बार उनके सरकार रहे कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी पर भरोसा जताया है। अब यह सीट भाजपा की ही मानी जाती है लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी ने व्यपारी वर्ग के नेता रईश चंद्र शुक्ल को टिकट देकर भाजपा के गढ़ में सेंधमारी करने में जुटी है। रईश चंद्र शुक्ल की पैठ विधानसभा क्षेत्र में अधिक है जिसकी वजह से सपा ने भरोसा जताया है। समाजवादी उम्मीदवार फाइनल होते ही नंद गोपाल नंदी और रईश चंद्र शुक्ल में कांटे की टक्कर हो गई है। इसके अलावा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है।
बीजेपी से एमएलसी का चुनाव लड़ चूंके है रईस
समाजवादी पार्टी के शहर दक्षिणी से सपा उम्मीदवार रईस शुक्ला जिले के बड़े कारोबारियों में शामिल हैं। भाजपा टिकट पर वह 2016 में एमएलसी का चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन सपा के बासुदेव यादव से हार गए थे। सपा की भाजपा से नाराज ब्राह्मण मतदाताओं पर नजर है। इसी का फायदा उठाते हुए रईस शुक्ला को समाजवादी पार्टी ने टिकट देने को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। व्यपारी वर्ग में अच्छी पकड़ होने की वजह से सपा ने टिकट दिया है।
इन नेताओं ने ठोकी ताल
भाजपा मंत्री नंदी के गढ़ में सबसे अधिक ब्राह्मण, व्यपारी वर्ग के अधिक मतदाता हैं। अगर अनुमान लगाए तो इस विधनसभा में कुल साढ़े तीन लाख से चार के बीच मतदाता हैं। वर्तमान इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। 2022 के विधानसभा में भाजपा ने फिर से अपने ही मंत्री नंदी पर भरोषा जताया है तो वहीं समाजवादी पार्टी ने रईस चंद्र शुक्ल को मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी से डॉक्टर अफ्ताफ हुसैन को दिया है तो वहीं कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी अल्पना निषाद को मैदान में उतारा है। बसपा ने दिवेन्द्र मिश्र पर भरोसा जताया है। अभी तक एआईएमआईएम ने अपना उम्मीदवार नहीं घोषित किया है।
Updated on:
03 Feb 2022 03:25 pm
Published on:
03 Feb 2022 02:29 pm
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