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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर डीआईओएस को जाने क्यों किया तलब, कोर्ट नाराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीआईओएस से कोर्ट ने पूछा है कि क्यों न आदेश की अवहेलना के लिए अवमानना का आरोप तय किया जाए। कोर्ट ने उन्हें आदेश के अनुपालन का अवसर भी दिया है और कहा है कि अनुपालन होने पर उन्हें उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है, वह केवल अनुपालन हलफनामा दाखिल कर सकते हैं।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर डीआईओएस को जाने क्यों किया तलब, कोर्ट नाराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर डीआईओएस को जाने क्यों किया तलब, कोर्ट नाराज

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर डीआईओएस को किसी मामले को लेकर तलब किया है। हाईकोर्ट ने विवाहिता पुत्री को मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति पर विचार करने के आदेश का पालन नहीं करने को प्रथमदृष्टया अवमानना का मामला मानते हुए जौनपुर के डीआईओएस राजकुमार पंडित को तलब किया है। इसके मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा कि क्यों आदेश की अवहेलना के लिए अवमानना का आरोप तय किया जाए।

मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीआईओएस से कोर्ट ने पूछा है कि क्यों न आदेश की अवहेलना के लिए अवमानना का आरोप तय किया जाए। कोर्ट ने उन्हें आदेश के अनुपालन का अवसर भी दिया है और कहा है कि अनुपालन होने पर उन्हें उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है, वह केवल अनुपालन हलफनामा दाखिल कर सकते हैं। मामले में यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने अंकिता श्रीवास्तव की याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्य को सुनकर दिया है।

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जाने कोर्ट ने क्या कहा था

मामले में अधिवक्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को बताया कि याची की याचिका पर न्यायालय ने याची को प्रत्यावेदन देने और उसे जिला विद्यालय निरीक्षक जौनपुर को चार माह में निर्णीत करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि विमला श्रीवास्तव केस के फैसले के आलोक में याची की अर्जी विवाहिता पुत्री होने के कारण निरस्त न की जाए। आरोप है कि जानकारी प्राप्त होने के बावजूद आदेश का अनुपालन अब तक नहीं किया गया।

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इसके बाद तथ्यों के अनुसार याची की मां शिवमूर्ति बालिका इंटर कॉलेज केराकत जौनपुर में कार्यरत थी। सेवाकाल में मृत्यु हो गई तो याची ने आश्रित कोटे में नियुक्ति की अर्जी दी। जिला विद्यालय निरीक्षक ने यह कहते हुए अर्जी निरस्त कर दी कि विवाहिता पुत्री परिवार में शामिल नहीं है। इस पर उसने याचिका दाखिल की तो कोर्ट ने विमला श्रीवास्तव केस के निर्णय के आलोक में याची के मामले में निर्णय लेने का निर्देश दिया था।