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अलवर को 76 वर्ष क्यों नहीं मिल पाया मंत्री पद

अलवर शहर से आजादी के बाद संजय शर्मा 76 साल के इंतजार के बाद अब पहली बार मंत्री बने हैं। हालांकि राजस्थान के मंत्रिमंडल में महंत बालकनाथ मंत्री नहीं बनाकर इस बार मुख्यमंत्री ने चौंका दिया। हालांकि लोकसभा चुनाव में नए मंत्री की असली परीक्षा होगी, क्योंकि उनके लिए अहीरवाल को साधना बड़ी चुनौती रहेगी।

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अलवर

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Prem Pathak

Dec 30, 2023

अलवर को 76 वर्ष क्यों नहीं मिल पाया मंत्री पद

अलवर को 76 वर्ष क्यों नहीं मिल पाया मंत्री पद

आजादी के बाद अलवर शहर को 76 साल का लंबा इंतजार शनिवार को संजय शर्मा को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल करने के साथ ही पूरा हो गया। उन्हें राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है। हालांकि राज्य मंत्रिमंडल में महंत बालकनाथ योगी को शामिल नहीं किया जाना मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का चौंकाने वाला निर्णय रहा। कयास है कि उन्हें किसी अन्य बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

लंबे इंतजार के बाद शनिवार को राज्य मंत्रिमंडल का गठन किया गया। इसमें अलवर जिले से एक मात्र मंत्री अलवर शहर से लगातार दूसरी बार जीते भाजपा विधायक संजय शर्मा को राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का जिम्मा दिया गया है। हालांकि अलवर जिले से भाजपा के 5 विधायक जीते थे, लेकिन मंत्री एक ही बनाए गए।

पत्रिका की खबर पर लगी मुहर

राजस्थान पत्रिका ने सर्वे के आधार पर राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले मंत्री के नाम उजागर किए थे, इसमें संजय शर्मा को मंत्री बनाए की बात कही थी। मंत्रिमंडल में संजय शर्मा को शामिल किए जाने से पत्रिका की खबर पर मुहर लगी।

शर्मा को मंत्री बना जातीय समीकरण साधे

मुख्यमंत्री ने संजय शर्मा को मंत्री बनाकर पूर्वी राजस्थान में जातीय समीकरण भी साधने का कार्य किया है। पूर्वी अलवर जिले से संजय शर्मा को ब्राह्मण चेहरे को शामिल कर पूर्वी राजस्थान में सामान्य वर्ग काे साधने का प्रयास किया गया है। इसी क्षेत्र से खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी ब्राह्मण हैं।

लोकसभा चुनाव होगा बड़ी चुनौती

मंत्रिमंडल गठन के बाद भाजपा के सामने सबसे बड़ी लोकसभा चुनाव है। अलवर लोकसभा सीट फिर से भाजपा की झोली में डालना नव मनोनीत मंत्री संजय शर्मा के लिए असली परीक्षा होगी। कारण है कि अलवर जिला यादव बहुल माना जाता है। भाजपा यहां लोकसभा चुनाव में यादव वर्ग से ही ज्यादातर उम्मीदवार उतारती रही है। ऐसे में अहीरवाल को साध लोकसभा चुनाव में भाजपा की दर्ज कराना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। साथ ही पूर्वी राजस्थान के अन्य जिलों में भी भाजपा को जीत दिलाने की जिम्मेदारी रहेगी।

रिवाज कायम रहा

मंत्रिमंडल गठन को लेकर अलवर जिले का रिवाज इस बार भी कायम रहा। एक दशक के दौरान प्रदेश में रही दो सरकारों में अलवर जिले को पहली बार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार पद दिया गया। बाद में उनकाे प्रमोशन कर कैबिनेट पद दिया गया। इस बार भी संजय शर्मा को राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया।

अब चर्चा महंत बालकनाथ की

राज्य में मंत्रिमंडल गठन के बाद भले ही लोगों को विभागों को बंटवारे का इंतजार हो, लेकिन जिले में ज्यादा चर्चा महंत बालकनाथ को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने की है। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बालकनाथ को मंत्री नहीं बनाए जाने के पीछे पार्टी की उन्हें लेकर कोई दूसरी योजना भी हो सकती है।