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सरकारी विभागों को पता नहीं क्या करना है

राजस्थान में न मंत्री बने हैं और न ही सरकार के निर्देश है कि क्या करना है। इस कारण ज्यादातर सरकारी महकमें असमंजस में हैं, सरकार ने कुछ विभागों से 100 दिन की कार्य योजना के लिए जानकारी जरूर मांगी, लेकिन उन्हें यह नहीं बताया कि करना क्या है। जानते हैं आखिर क्या है नई सरकार की मजबूरी।

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अलवर

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Prem Pathak

Dec 29, 2023

सरकारी विभागों को पता नहीं क्या करना है

सरकारी विभागों को पता नहीं क्या करना है


प्रदेश में मुख्यमंत्री की शपथ के साथ ही नई सरकार का गठन हो गया, लेकिन सरकारी विभागों को अभी तक मुखिया नहीं मिल पाए। इससे ज्यादातर विभाग का कामकाज ठप हो गया है। नई सरकार ने 100 दिन की कार्य योजना के नाम पर कुछ विभागों से जानकारी जरूर जुटाई, लेकिन उन्हें करना क्या है, यह अब तक नहीं बताया। वहीं पुराने प्रोजेक्ट, टेंडर आदि पर नई सरकार की रोक का भी विकास पर असर पड़ा है। यानी नई सरकार के गठन के बाद अलवर सहित प्रदेश के ज्यादातर जिलों में सरकारी कामकाज के नाम पर केवल जरूरी दैनिक गतिविधि ही संपादित की जा रही हैं।

प्रदेश में अभी तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है। इस कारण ज्यादातर विभाग के अधिकारी कामकाज को लेकर असमंजस में हैं। न तो विभाग मुख्यालयों की ओर से नए निर्देश जारी हो पा रहे हैं और न ही जिला स्तर पर कोई प्रस्ताव तैयार किए जा रहे।

कुछ विभागों से मांगी जानकारी, कई ने अभी नहीं पूछा

नई सरकार की ओर से 100 दिन की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसके लिए बिजली निगम मुख्यालय ने अलवर जिले की जानकारी मांगी है, वहीं जलदाय विभाग से 100 दिन में किए जाने वाले कार्याें की जानकारी मांगी गई है। नगर निगम अलवर से भी कोई कार्य योजना नहीं मांगी गई, वहीं चिकित्सा विभाग, उद्योग समेत कई अन्य विभागों से अब तक कोई जानकारी नहीं मांगी गई है। यूआईटी अलवर व सार्वजनिक निर्माण विभाग अलवर ने अपनी 100 दिवसीय कार्ययोजना तैयार कर मुख्यालय को भिजवाई है।

लोग भी ताक रहे नई सरकार की ओर

नई सरकार के गठन के बाद लोगों को भी नए विकास कार्य एवं योजनाओं के शुरू होने का इंतजार है। लेकिन अभी नए निर्देश नहीं मिल पाने से ज्यादातर सरकारी कार्यालयों में सन्नाटा पसरा है। हालत यह है कि जिला स्तर पर होने वाली जनसुनवाई, विभागीय समीक्षा बैठक, साप्ताहिक समीक्षा बैठक तक नहीं हो पा रही हैं। इस कारण विधानसभा चुनाव के बाद ज्यादातर विभागों के कामकाज की समीक्षा ही नहीं हो पाई है, इससे विभागीय कार्यों की गति भी थम सी गई है। यही कारण है कि मिनी सचिवालय से लेकर अन्य विभागों में फरियादियों की लगने वाली भीड़ भी फिलहाल दिखाई नहीं पड़ रही।