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हर जगह बिक रहा नशीला पदार्थ, कोई रोक नही, स्कूल हो या मंदिर के पास

तंबाकू, गुटखा व धू्रमपान से होने वाले खतरों के सावचेत करने के बाद भी लोगों में यह प्रवृति घटने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। हालांकि सरकार ने घू्रमपान से होने वाली मौत में कमी लाने के लिए प्रयास भी किए, लेकिन धू्रमपान व गुटखा सेवन करने वालों और बेचने वालों ने सरकार की बंदिशों का तोड़ निकाल लिया।

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अलवर. तंबाकू, गुटखा व धू्रमपान से होने वाले खतरों के सावचेत करने के बाद भी लोगों में यह प्रवृति घटने के बजाय बढ़ती ही जा रही है।

सरकार ने घू्रमपान से होने वाली मौत में कमी लाने के लिए प्रयास भी किए, लेकिन धू्रमपान व गुटखा सेवन करने वालों और बेचने वालों ने सरकार की बंदिशों का तोड़ निकाल लिया।

नतीजा यह रहा कि चाहे विद्यालय हो या मंदिर, अस्पताल हो या सार्वजनिक विभाग के कार्यालय, सभी जगह खुले आम घू्रमपान व गुटखा आदि बिकता और इसका धड़ल्ले से सेवन होता दिखाई देता है।

पिछली राज्य सरकार ने गुटखा पर बैन किया, लेकिन इनके निर्माताओं ने सुपारी व तंबाकू के अलग-अलग पाउच तैयार बाजार में उतार दिए। गुटखा निर्माताओं के आगे प्रशासन ही नहीं, खुद राज्य सरकार भी बेबस दिखाई दी।

यही कारण है कि शहर ही नहीं पूरे जिले में गुटखा व ध्रूमपान के अन्य उत्पाद खुले में बेचे जा रहे हैं।

इतना ही महीने की आखिरी तारीख को सरकार की ओर से तंबाकू उत्पाद बेचने पर पाबंदी लगा रखी है। इसके बावजूद भी पान की दुकान, परचून व अन्य स्थानों पर महीने की आखिरी तारीख को धू्रमपान व गुटखा उत्पाद बिकते दिखाई पड़ते हैं।

इसके अलावा धू्रमपान व गुटखा उत्पाद विक्रेताओं के यहां इससे होने वाले दुष्प्रभाव से अवगत कराने बोर्ड भी दिखाई नहीं पड़ते।

प्रशासन अनजान

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से राजस्थान में साल 2011 में 58 हजार 426, 2012 में 60065, 2013 में 61743 व 2014 में 63459 मामले कैंसर के सामने आए। अलवर जिले में भी हालात खराब हैं। एक माह में जिले में 58 कैंसर के मरीज पॉजीटिव मिले हैं। कैंसर का मुख्य कारण धूम्रपान व तम्बाकू है।

नियमों की पालना नहीं

सरकार के तमाम नियमों के बाद भी जिलेभर में स्कूल व अस्पताल के पास खुलेआम तम्बाकू उत्पाद बिक रहे हैं।

नियम के हिसाब से प्रत्येक दुकान पर 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को तम्बाकू उत्पाद नहीं देने व लोगों को जागरूक करने के लिए बोर्ड लगना जरूरी है।

लेकिन किसी भी दुकान पर इस तरह के बोर्ड नहीं हैं। बड़ी संख्या में दुकानों पर धूम्रपान कम्पनी के बोर्ड लगे हुए हैं। सार्वजनिक स्थानों पर चेतावनी बोर्ड होने चाहिए, लेकिन एेसा नहीं है।

क्या है सरकारी नियम

स्कूल से 100 मीटर दूर तम्बाकू व धूम्रपान सम्बंधी उत्पाद की दुकान होनी चाहिए। जिस स्कूल के पास दुकान मिलेगी, उस स्कूल के प्रधानाचार्य जिम्मेदार होंगे।

तम्बाकू व धूम्रपान कम्पनियों के बोर्ड लगाने पर धारा पांच के पांच साल की सजा व 10 हजार रुपए तक जुर्माना दुकानदार पर लग सकता है।

उप मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. छबील सिंह ने बताया कि तंबाकू उत्पाद बेचने वाले दुकान संचालकों के चालान किए जाते हैं। एक माह में 50 से 60 चालान होते हैं। इस मुहिम में सभी विभाग व प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भागीदारी देनी होगी।

बच्चों के आसपास, सार्वजनिक स्थानों व अस्पताल में धूम्रपान नहीं करना चाहिए। सरकारी विभाग को अपने कार्यालय में धूम्रपान करने वालों के खिलाफ चालान करने चाहिए।

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