
अलवर ञ्च पत्रिका. हरिया कभी खाली हाथ नहीं गया। चार फरवरी को नीमराणा में ज्वेलर से लूट के समय हाथ में पिस्तौल थामे गैंगस्टर पवन उर्फ हरिया का यह डायलॉग अपने खास गुर्गे अरुण गुर्जर की एनकाउंटर में मौत के बाद पूरी तरह बदल गया। अरुण की मौत के बाद वह पुलिस से छिपता फिर रहा था। वह इतना भयभीत था कि हर किसी से यह कहता कि मुझे बाहर डर लगता है। नींद नहीं आती। मुझे जेल भिजवा दो। आखिर उसकी मुराद पूरी हो गई और 14 फरवरी को पलवल पुलिस ने उसे दिल्ली के दलपुरा इलाके से गिरफ्तार कर लिया। दरअसल, नीमराणा में ज्वेलर से लूट के बाद हरिया के उल्टे दिन शुरू हो गए। अलवर, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के विभिन्न थानों में हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, रंगदारी आदि के 40 से अधिक आपराधिक मामलों से पुलिस पहले ही खफा चल रही थी।
नीमराणा में ज्वेलर से लूट के बाद तीनों राज्यों के संबंधित क्षेत्रों के पुलिस अधिकारियों की अलवर के खैरथल में संयुक्त बैठक हुई, जिसमें तीनों राज्यों की पुलिस का ज्वाइंट गु्रप बनाया गया। इससे पुलिस का मनोबल बढ़ा और पुलिस ने नीमराणा में ज्वेलर लूट की वारदात के केवल 80 घंटों में हरिया के खास गुर्गे अरुण को मार गिराया। इससे हरिया घबरा गया और उसे भी एनकाउंटर का डर सताने लगा। पुलिस पूछताछ में उसने स्वीकारा कि अरुण की मौत के बाद वह इतना डर गया कि हर किसी से उसे जेल भेजने की कहने लगा।
खौफ फैलाना चाहता था, खुद खौफजदा हो गया
पुलिस के अनुसार पवन उर्फ हरिया एक वारदात के बाद दुबारा उसी दुकान अथवा प्रतिष्ठान पर लूट करता था। ताकि उसका डर व खौफ पूरे क्षेत्र में फैल जाए और व्यापारी खुद ही उसे मंथली देना शुरू कर दें। वारदात के बाद वह भय फैलाने के लिए वह फायरिंग करते हुए निकलता था। इससे आमजन में भी उसका खौफ बना रहता था। लेकिन नीमराणा की वारदात के बाद जब पुलिस ने उस पर शिकंजा कसा तो खौफ फैलाने वाला खुद खौफजदा हो गया और जान बचाने के लिए लोगों से जेल भेजने की गुहार लगाने लगा।
Published on:
15 Feb 2018 08:57 am
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