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सरकार के आदेश, फिर भी फर्जी दस्तावेजों से बने लिपिक बर्खास्त नहीं, उठ रहे सवाल

जिला परिषद की ओर से करीब ढाई साल 134 लिपिकों की भर्ती की गई थी। इसमें कई अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लिपिक बन गए। जांच में यह गड़बड़ी सामने भी आई और सरकार ने बर्खास्त करने के निर्देश दिए थे, लेकिन आज तक किसी पर भी कार्रवाई नहीं होने से जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।

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अलवर. जिला परिषद की ओर से करीब ढाई साल 134 लिपिकों की भर्ती की गई थी। इसमें कई अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लिपिक बन गए। जांच में यह गड़बड़ी सामने भी आई और सरकार ने बर्खास्त करने के निर्देश दिए थे, लेकिन आज तक किसी पर भी कार्रवाई नहीं होने से जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। भर्ती होने का मामला सामने आया, लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं हुई, जबकि लोगों का कहना है कि इस मामले में कार्रवाई नहीं हुई, तो फर्जीवाड़ा करने वालों के हौसले और बुलंद होंगे।
जिला परिषद अलवर में 2019 और 2022 में लिपिक की भर्ती चरणवार तरीके से की गई। इस दौरान कुछ लोगों को लिपिक बनाने पर सवाल उठे। लोगों ने अपने स्तर से इसकी जांच की और कांग्रेस सरकार के समय ही शिकायत सरकार को भेजना शुरू कर दी। पुख्ता सुबूत भी दिए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। फिर सरकार बदलते ही लिपिक भर्ती में हुआ फर्जीवाड़ा बाहर आया। सरकार ने जिला प्रशासन को लिपिक की भर्ती में हुए फर्जीवाड़े की जांच सौंपी। 10 दिन में ऐसे लोगों को बर्खास्त करने के आदेश दिए, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।
ये केस आए सामने
इनके अलावा 15 लोग ऐसे मिले थे, जिनके अधिक अंक होने पर भी नौकरी नहीं मिली, जबकि कम अंक वालों को लिपिक की नौकरी दे दी गई। कुल मिलाकर सरकार के आदेश की पालना होनी थी और संबंधित लिपिकों को बर्खास्त करना था, लेकिन यह कार्रवाई आज तक नहीं हो पाई। राजनीतिक पहुंच के कारण कार्रवाई नहीं हो पाई।
सरकार ने यह दिए थे आदेश
मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश पर पंचायती राज विभाग के शासन सचिव जोगाराम ने अलवर जिला कलक्टर से इसकी जांच करवाई। अलवर उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति ने इसकी जांच रिपोर्ट कलक्टर के माध्यम से राज्य सरकार को 27 जनवरी को भिजवाई। पंचायती राज विभाग के शासन सचिव जोगाराम की तरफ से 30 जनवरी, 2025 को ही आदेश जारी कर जिला कलक्टर को निर्देशित किया कि जिन लिपिकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े के संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है, सर्वप्रथम राज्य सरकार के आदेशों के अनुसार उनकी पात्रता की जांच कराई जाए और फिर गड़बड़ी मिलने पर 10 दिन के अंदर जिला स्थापना समिति की बैठक कर उनको राज्य सेवा से बर्खास्त किया जाए। इनको नियुक्ति देने में शामिल रहे अधिकारी, कर्मचारियों के खिलाफ भी कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया जाए। शासन सचिव का यह पत्र आए करीब 4 महीने बीतने को हैं, लेकिन अब तक भी किसी फर्जी लिपिक को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया गया है।