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RTE Admission 2025 में इन बच्चों का नहीं हो रहा रजिस्ट्रशन, जानें आरटीई प्रवेश प्रकिया के क्या है ये नियम?

RTE Online Portal Issue: किरायानामा देने के बाद भी दाखिला नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में आरटीई स्कीम का गांवों के लिए लोगों को फायदा नहीं पा रहा है।

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अलवर

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Akshita Deora

Apr 03, 2025

RTE Admission 2025: 8 अप्रैल तक कर सकेंगें RTE के लिए आवेदन, जल्द करें अप्लाई

RTE Portal Error

जितेन्द्र चौधरी

RTE Admission 2025-26: शिक्षा का अधिकारी (आरटीई) के कई प्रावधान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के निजी स्कूलों में दाखिले में बाधा बन रहे हैं। इन प्रावधानों को हटा दिया जाए तो कई बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ सकेंगे। आरटीई में इस साल प्री प्राइमरी (पीपी थ्री) प्लस के लिए आयु सीमा 3 से 4 साल और पहली कक्षा के लिए आयु सीमा 6 से 7 साल रखी है।

ऐसे में जिन बच्चों की आयु 4 से 5 साल के बीच है, उनका पोर्टल पर पंजीयन ही नहीं हो पा रहा है। विभाग ने आयु की गणना नर्सरी के लिए एक अप्रेल, 2021 से लेकर 31 जुलाई, 2022 और कक्षा प्रथम के लिए एक अप्रेल, 2018 से लेकर 31 जुलाई, 2019 के मध्य की है।

शहरी क्षेत्र में वार्ड का निवासी होना जरूरी

आरटीई में दाखिला केवल एक निश्चित एरिया में निवास करने वाले बच्चों को ही मिलता है। इसमें शहरी क्षेत्र में जिस वार्ड में स्कूल है, उस वार्ड का वासी होना जरूरी है। कई बार उस वार्ड से सीटें नहीं भर पाती हैं। ऐसी स्थिति में दूसरे वार्ड के बच्चों को दाखिला दे दिया जाए तो उन्हें फायदा मिल सकेगा। सबसे ज्यादा परेशानी मजदूरी करने के लिए बाहर से आने वाले लोगों के बच्चों को होती है। यही नहीं जिन गांवों में निजी स्कूलों का अभाव है और ऐसे अभिभावक अपने बच्चों दाखिला अन्य स्कूलों में करवाते हैं तो उनका फॉर्म रिजेक्ट कर दिया जाता है। किरायानामा देने के बाद भी दाखिला नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में आरटीई स्कीम का गांवों के लिए लोगों को फायदा नहीं पा रहा है।

आरटीई के कई नियमों में बदलाव की जरूरत है। खासकर 4 से 5 साल की आयु के बच्चों का भी पंजीयन होना चाहिए। साथ ही क्षेत्र व वार्ड की बाध्यता और सालाना इनकम में बदलाव होना चाहिए।

-सुशील नागर, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ राधाकृष्णन

आय सीमा में भी बदलाव जरूरी

आरटीई एक अप्रेल, 2010 के नियम के अनुसार निजी स्कूलों में दाखिला दिया जाता है। कमजोर वर्ग श्रेणी और असुविधाग्रस्त समूह श्रेणी में ओबीसी-एमबीसी वर्ग के अभिभावक की आय सीमा सालाना 2.50 लाख रुपए या इससे कम निर्धारित की गई थी। तब टैक्स छूट 1.80 लाख रुपए सालाना तक थी। अब यह बढ़कर 12 लाख रुपए तक पहुंच गई है, लेकिन सरकार ने अभी तक आरटीई में आय सीमा में बदलाव नहीं किया है। इस वजह से भी कई अभिभावक बच्चों का दाखिला नहीं करवा पा रहे हैं।

ये दूर होनी चाहिए खामियां

आरटीई के बच्चों को बुक सेट का भुगतान कम हो रहा है, इसमें इजाफा होना चाहिए।

सरकारी स्कूलों के बच्चों की तरह ही आरटीई के बच्चों को यूनिफॉर्म व शूज का भुगतान किया जाना चाहिए।

सीट खाली रहने की स्थिति में आरटीई में वार्ड व क्षेत्र की बाध्यता खत्म होनी चाहिए।

कई निजी स्कूल संचालक आरटीई का भुगतान ले रहे हैं और अभिभावकों से भी फीस वसूल रहे हैं। इस पर कार्रवाई हो।

जिन स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दिया जाता है, ऐसे स्कूलों को चिन्हित करके इन पर कार्रवाई होनी चाहिए।

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