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आमदनी से ज्यादा मजदूरी व थ्रेसर से निकलाई का खर्च, फिर भी फसल का नहीं मिल रहा उचित दाम

बार-बार मौसम का बदलता मिजाज भी बढ़ा रहा किसानों की चिंता

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प्रतापगढ़. सरसों कटाई के बाद अब किसान गेहूं, जौ, चना आदि रबी फसल की कटाई में जुट रऐ हैं, लेकिन धरतीपुत्रों के समक्ष समस्या यह है कि उन्हें समय पर मजदूर नहीं मिल रहे। सभी के खेतों में फसल की लावणी एक साथ आ जाने से श्रमिकों ने भी अपनी मजदूरी 300 से बढ़ाकर 500 रुपए प्रतिदिन की कर दी है।किसान परिवारों का कहना है कि कस्बे सहित आसपास के क्षेत्रों में इन दिनों खेतों में खड़ी फसल को काटकर अपनी छह माह की मेहनत को समेटने में लगे हुए हैं। इससे पहले कड़ाके की ठंड व रात में फसल की रखवाली करने सहित सिंचाई, बार-बार मौसम के बदले मिजाज की मार झेली। जैसे -तैसे अपनी फसल को बचाने के लिए दिन-रात सब काम छोड़कर लगे रहे। अब कटाई के समय मजदूर नहीं मिल रहे। विष्णु सैनी, योगेश सैनी सहित अनेक किसानों का कहना है कि गेहूं, जौ की कटाई जोरों पर हैं। महंगी मजदूरी और थ्रेसर से निकलवाने के बाद उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य भी बाजार में नहीं मिल रहा है। मंडी में गेहूं के दाम कम होने के कारण प्रति बीघा केवल पांच-छह हजार रुपए ही बच रहे हैं, जो उनकी लागत व मेहनत के हिसाब से काफी कम है।एक बीघा कटाई में लगते हैं 13-14 मजदूरअधिकतर किसानों का कहना है कि एक बीघा फसल की कटाई में करीब 13-14 मजदूर लगाने पड़ते हैं। एक मजदूर प्रतिदिन की 500 रुपए मजदूरी लेता है और एक या डेढ़ दिन में ये एक बीघा की कटाई कर पाते हैं। इस समय क्षेत्र में फसल कटाई का कार्य जोरों पर होने के कारण मजदूर आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहे। मजदूर तीन-चार दिन बाद आने की तारीख कटाई के लिए दे रहे हैं, जिससे किसान मौसम की अनिश्चितता को लेकर भी चिंतित हैं। इसके बाद थ्रेसर से निकलवाई का खर्च अलग है। जब फसल तैयार कर ली जाती है तो सेठ-साहूकार व मंडियों में गेहूं 2400-2500 रुपए प्रति क्विंटल व जौ 1950-2000 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से खरीदा जा रहा है। क्षेत्र में कोई सरकारी खरीद केन्द्र नहीं होने से किसान अपनी उपज कम कीमत पर बेचने को मजबूर हैं।

200 रुपए बढ़ा दी मजदूरी

पहले खेती मजदूर तीन सौ रुपए में मिल जाते थे। अब कटाई कार्य जोरों पर होने से इनको प्रतिदिन पांच सौ रुपए देने के अतिरिक्त खाना व चाय का खर्च भी देना पड़ रहा हैं। ऐसे में किसान को बीज, बुवाई, कीटनाशक, खाद, निराई-गुड़ाई, सिंचाई, रखवाली, कटाई व निकलवाई का खर्च जितना फसल उत्पादन हो रहा है, उसके बराबर ही पहुंच रहा है। क्षेत्र में पानी की कमी के चलते प्रति बीघा 28-30 मण या 11-13 क्विंटल गेहूं ही उत्पादन होता है। जिसकी वर्तमान भाव के हिसाब से 28-30 हजार रुपए कीमत हैं। इसके विपरीत खर्च भी 22 से 25 हजार तक पड़ रहा है।गेहूं, जौ की 35-40 फीसदी कटाई हो पाई हैअभी क्षेत्र में करीब पैंतीस-चालीस फीसदी गेहूं, जौ की कटाई हो पाई है। अप्रेल तक लगभग सौ फीसदी कटाई हो जाएगी। मौसम के उतार-चढ़ाव ने किसानों की चिंता बढ़ा रखी है। हाल ही के दिनों में बादल छाने व बारिश की आशंका ने किसानों की चिंतित कर रखा है।

मोहनलाल मीना, सहायक कृषि अधिकारी।