वरघोडा यात्रा में बैंड वादकों की ओर से भजनों की मधुर ध्वनि बिखेरी गई। उसके बाद जैन समाज के लोगों ने हर्षोल्लास के साथ दीक्षार्थी की जय-जयकार के जयघोष लगाए। डीजे पर चल रहे मधुर भजनों पर महिलाओं व बच्चों सहित पुरुषों ने जमकर नृत्य किया, जिससे क्षेत्र का माहौल भक्तिमय हो गया। आकर्षक सजावट से सजी बग्गी में विराजमान दीक्षार्थी कनिष्का के साथ माता मधु जैन व पिता पवन जैन व भाई लक्ष्मीकांत ने कस्बे के लोगों का हाथ जोड़कर भावपूर्ण अभिवादन स्वीकार किया। वरघोड़ा यात्रा कस्बे के मुख्य बाजार, पुराना बाजार, रतनकुंज कॉलोनी, अलवर-भरतपुर मार्ग होती हुई वापस जैन वाटिका पहुंचकर सम्पन्न हुई। वरघोड़ा यात्रा का कस्बे में जगह-जगह कस्बेवासियों ने पुष्पवर्षा व जलपान से स्वागत किया गया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय श्रीजैन रत्न हितेषीश्रावक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनन्द शाह चौपड़ा एवं सहयोगी संस्थाओं व सभी श्रीसंघों के अध्यक्ष और मंत्रियों का बडौदामेव समाज की ओर से अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में अलवर शहर पूर्व विधायक बनवारीलाल सिंघल, रामगढ़ विधायक सुखवंतसिंह उपस्थित रहे। दोपहर 1:15 बजे दीक्षार्थी का अभिनंदन व दीक्षार्थी की खोलभराई रस्म आयोजित की गई। कार्यक्रम में दूरदराज से जैन समाज के लोग सम्मलित हुए। गौरतलब है कि कनिष्का का 11 दिसंबर को जोधपुर में दीक्षा समारोह होगा।
युवा पीढ़ी को संदेश कनिष्का जैन ने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा करें और धर्म के मार्ग पर चलते हुए जीवन को सार्थक बनाएं। उन्होंने कहा कि मेरा उद्देश्य अपने भोगों को कम करना और संसार के दुखों को त्याग कर मोक्ष प्राप्त करना है।
मां के लिए कठिन, लेकिन गौरवपूर्ण निर्णय कनिष्का की माता मधु जैन ने भावुक होते हुए कहा कि एक मां के लिए बेटी का यह निर्णय मान लेना कठिन होता है, लेकिन यह भी सच है कि दीक्षा का निर्णय संसार में सबसे पवित्र और उत्तम होता है। उन्होंने कहा कि माता-पिता का बच्चों के प्रति मोह स्वाभाविक है, लेकिन इस निर्णय के पीछे दृढ़ता और संतोष का भाव होना चाहिए।
समाज के लिए प्रेरणा कनिष्का के इस निर्णय ने जैन समाज और युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल कायम की है। यह कदम धर्म और भक्ति के प्रति उनकी अटूट आस्था को दर्शाता है, जो उन्हें वैराग्य की राह पर ले जाने के लिए प्रेरित करता है।