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Video: सरगुजा में मिली उडऩे वाली गिलहरी, विलुप्त होती जा रही ये प्रजाति, वीडियो में आप भी देखें

Flying Squirrel: सरगुजा के लखनपुर विकासखंड अंतर्गत तराजू गांव में घायलावस्था में मिली उडऩे वाली गिलहरी, देखने पहुंचे काफी संख्या में ग्रामीण, वन विभाग करा रहा इलाज

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Flying squirrel found in Ambikapur

Flying squirrel

अंबिकापुर. बसंत ऋतु के अलावा अन्य मौसम में भी अक्सर गिलहरियां देखने को मिलती हैं लेकिन सरगुजा जिले में एक ऐसी गिलहरी मिली है जो उड़ती है। सोमवार को गिलहरी उड़ती हुई आई और एक गांव में गिर गई। उसके पैरों में चोट लगी थी। इस अद्भूत गिलहरी को देखने ग्रामीणों का हुजूम उमड़ पड़ा।

सूचना पर वन विभाग की टीम गांव में पहुंची और गिलहरी को बरामद कर अंबिकापुर के संजय पार्क (Sanjay Park Ambikapur) में सुरक्षित रखा। यहां चिकित्सकों की निगरानी में उसका इलाज जारी है। बताया जा रहा है कि गिलहरी की यह प्रजाति विलुप्त होती जा रही है।

सरगुजा में मिली उडऩे वाली गिलहरी के संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि गिलहरी की 50 से ज्यादा प्रजातियां होती हैं। इसमें यह उडऩे वाली गिलहरी (Squirrel) है, जो शाकाहारी है। यह गिलहरी सरगुजा जिले के लखनपुर ब्लाक अंतर्गत ग्राम तराजू मे मिली है।

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गांव के काफी संख्य में लोग इसे देखने पहुंचे थे लेकिन सूचना पर वन विभाग की टीम ने गिलहरी को सुरक्षित पकड़कर संजय पार्क में रखा है। घायल अवस्था मे मिली इस गिलहरी के दोनो पैर में चोट लगी है।

लखनपुर वन परिक्षेत्र के वनकर्मियों ने रेस्क्यू किया है। वही अम्बिकापुर रेंज वन अधिकारी के मुताबिक इसका बेहतर इलाज कराया जा रहा है। उन्होंने ये भी बताया कि ऐसी उडऩे वाली गिलहरी आमतौर पर पूर्वोत्तर राज्यों के घने जंगल मे पाई जाती है।

IMAGE CREDIT: Flying squirrel in Surguja

8 वर्ष तक होती है अधिकतम उम्र
पशु चिकित्सक डाक्टर सीके मिश्रा ने बताया कि यह गिलहरियों की पाई जाने वाली 50 प्रजाति में से एक है। इसकी उम्र 2 से सवा 2 साल है। उडऩे वाली गिलहरी (Squirrel) की अधिकतम उम्र 8 वर्ष होती है।

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घने जंगलों में पाई जाती है ऐसी गिलहरी
घने जंगलों मे रहने वाली ऐसी गिलहरी पहली बार जिले के जंगल में मिली है, जिससे वन विभाग के अधिकारियों ने खुशी भी जाहिर की है। उडऩे वाली यह विलुप्त प्रजाति (Extinct squirrel) की गिलहरी फिलहाल घायल है। इलाज के बाद दोबारा इसे जंगल में छोड़ दिया जाएगा।


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