आगरा

दूषित होती यमुना: कब मिलेगी निजात? प्रदूषण से निपटने के लिए क्या है समाधान?

Yamuna River Pollution: यमुना नदी का प्रदूषण गंभीर समस्या बना हुआ है, खासकर दिल्ली और आगरा में। 136 करोड़ रुपये की योजना के तहत 43 नालों को टैप करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब तक इसे मंजूरी नहीं मिली।

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Feb 13, 2025

Yamuna River Pollution: यमुना नदी का जलस्तर भले ही कम हो, लेकिन उसमें प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। जल निगम ने 136 करोड़ रुपये की योजना बनाई है, जिससे 43 नालों को टैप कर गंदे पानी को एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) तक पहुंचाया जाए। यह योजना बीते साल जुलाई में नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के पास भेजी गई थी, लेकिन अभी तक इसे मंजूरी नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सख्ती दिखाई है और जल निगम के एमडी को तलब किया है।

यमुना में प्रदूषण की भयावह स्थिति

यमुना नदी में गिरने वाले 43 नालों में से 38 छोटे और 5 बड़े नाले हैं, जिनका गंदा पानी नदी को दूषित कर रहा है। इनमें बल्केश्वर, भैरों नाला, वाटर वर्क्स, मनोहरपुर, नरायच, एत्माददौला और प्रकाश नगर जैसे स्थान प्रमुख हैं, जहां से सबसे ज्यादा गंदा पानी नदी में गिरता है।

इस योजना के तहत 36 किमी लंबी लाइनें बिछाई जानी है, जिससे सभी 43 नालों को टैप किया जाएगा। इनमें 15.53 किमी लंबी राइजिंग मेन और 21 किमी लंबी छोटी सीवर लाइन शामिल हैं। साथ ही, रजवाड़ा, नरायच, मनोहरपुर, एत्माददौला, भैरों नाला, वाटर वर्क्स और बल्केश्वर के पंपिंग स्टेशनों को अपग्रेड किया जाएगा।

सबसे ज्यादा प्रदूषित स्थान

विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों के अनुसार, यमुना नदी का सबसे ज्यादा प्रदूषित हिस्सा दिल्ली और आगरा के पास है। दिल्ली में ओखला बैराज और आगरा में ताजमहल के पास यमुना का पानी सबसे ज्यादा दूषित मिलता है।
• दिल्ली: ओखला बैराज के पास यमुना में अमोनिया, नाइट्रेट और फॉस्फेट की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ चुकी है।
• आगरा: ताजमहल के पास यमुना का पानी काला पड़ चुका है, जिसमें झाग और गंदगी साफ दिखाई देती है।

यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (UPPCB) की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना के पानी में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर 10 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा हो गया है, जो पीने लायक तो दूर, नहाने लायक भी नहीं है।

यमुना को स्वच्छ करने के प्रयास और अड़चनें

यमुना सफाई के लिए कई योजनाएं बनाई गईं, लेकिन क्रियान्वयन में देरी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण ये सफल नहीं हो पाईं।
1. यमुना एक्शन प्लान (YAP): 1993 में शुरू किया गया था, लेकिन इसका असर दिल्ली और आगरा में नहीं दिखा।
2. नमामि गंगे प्रोजेक्ट: इस योजना के तहत यमुना की सफाई को भी प्राथमिकता दी गई, लेकिन नालों को टैप करने में देरी हो रही है।
3. स्थानीय प्रशासन की योजनाएं: आगरा, मथुरा और दिल्ली के स्थानीय प्रशासन ने अपने स्तर पर नालों को बंद करने और एसटीपी बढ़ाने की योजना बनाई, लेकिन फंडिंग और मंजूरी में देरी हो रही है।

दुनिया में नदी प्रदूषण रोकने के सफल प्रयास

1. थेमेंस नदी (लंदन, ब्रिटेन):

• 1950 के दशक में थेमेंस नदी पूरी तरह से प्रदूषित हो गई थी, लेकिन कठोर पर्यावरण कानून, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स और नालों को रोककर इसे साफ किया गया।
• अब यह यूरोप की सबसे स्वच्छ नदियों में शामिल है।

2. राइन नदी (जर्मनी, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, नीदरलैंड):

• 1986 में इस नदी में केमिकल लीकेज से भारी प्रदूषण हुआ, लेकिन ‘राइन एक्शन प्रोग्राम’ के तहत उद्योगों को जिम्मेदार बनाया गया और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की संख्या बढ़ाई गई।
• अब यह मछलियों और अन्य जलीय जीवों के लिए सुरक्षित है।

3. हडसन नदी (अमेरिका):

• 1970 में इस नदी में भारी प्रदूषण था, लेकिन अमेरिकी सरकार और स्थानीय संगठनों ने इसे साफ करने के लिए कठोर कदम उठाए।
• औद्योगिक कचरे पर प्रतिबंध लगाया गया और पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ।

यमुना के लिए क्या हो सकते हैं संभावित समाधान?

1. जल्द मंजूरी और फंडिंग: एनएमसीजी को 136 करोड़ की योजना को जल्द मंजूरी देनी चाहिए।
2. औद्योगिक कचरे पर नियंत्रण: दिल्ली, मथुरा और आगरा में कारखानों से निकलने वाले गंदे पानी को नदी में गिरने से रोका जाए।
3. लोकल प्रशासन की जवाबदेही: नगर निगमों और जल निगमों को समयबद्ध कार्य योजना बनाकर काम करना होगा।
4. जनभागीदारी: लंदन और जर्मनी की तरह स्थानीय लोग और एनजीओ मिलकर सफाई अभियान चला सकते हैं।
5. प्राकृतिक उपाय: नदी के किनारे ग्रीन बेल्ट बनाकर, आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) विकसित कर प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए योजनाएं तो बहुत हैं, लेकिन अमल में कमी है। जब तक प्रशासन, स्थानीय लोग और सरकार मिलकर ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक यमुना को बचाना मुश्किल होगा। लंदन, जर्मनी और अमेरिका की तरह ठोस कानून, कड़े नियम और जागरूकता से ही यमुना को फिर से स्वच्छ बनाया जा सकता है।

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