Education Department Unique Order : शिक्षा विभाग का अनोखा फरमान। सरकार के फरमान से अब जहां निजी स्कूलों में नामांकन बढ़ेगा तो सरकारी स्कूल विद्यार्थियों का इंतजार करेंगे। इस फरमान के बाद शिक्षक संगठनों ने जबरदस्त एतराज जताया है।
Education Department Unique Order : सरकार के नए फरमान से अब सरकारी विद्यालयों में फिर नामांकन घट सकता है। सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में कक्षा एक में छात्र-छात्रा के प्रवेश की आयु 6 वर्ष निर्धारित की गई है। ऐसे में सरकारी विद्यालयों में प्रवेश के लिए कोई भी अभिभावक 6 वर्ष आयु होने का इंतजार नहीं करेगा। प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर के निदेशक सीताराम जाट के आदेश के अनुसार कक्षा 1 में प्रवेश की आयु सीमा 6 वर्ष निर्धारित की है। इस फरमान के बाद शिक्षक संगठनों ने भी एतराज जताया है।
उनका मानना है कि सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए 6 वर्ष आयु होने तक अभिभावक इंतजार नहीं करेंगे। गैर सरकारी स्कूलों में 3 साल के बच्चे का प्रवेश नर्सरी में करवा देते हैं भले ही HKG, UKG भी पढ़कर कक्षा 1 में प्रवेश करता है। इसके बाद निजी से सरकारी स्कूल में प्रवेश कोई अभिभावक नहीं करवाएगा। इस निर्णय से निजी स्कूलों में प्रवेश को बढ़ावा मिलेगा।
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निजी विद्यालयों में पहले से ही प्रारंभिक कक्षाओं में 25 प्रतिशत आरटीई के नियम के अंतर्गत प्रवेश दिया जाता है। इसके कारण सरकारी विद्यालय का नामांकन वैसे ही कम है। अब इस नियम के लागू करने से कोई भी अभिभावक सरकारी विद्यालयों में प्रारंभिक कक्षा में कोई नहीं प्रवेश देना चाहेगा।
संघर्ष समिति राजस्थान शिक्षक संघ लोकतांत्रिक प्रदेश संयोजक बृजेन्द्र शर्मा ने कहा शिक्षा विभाग को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि 6 साल तक कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को घर पर बिठाकर नहीं रखेगा। वह तुरंत निजी विद्यालय में बच्चों को प्रवेश दिलाएगा और निजी विद्यालय में नर्सरी से ही कक्षाएं शुरू हो जाती हैं। जबकि सरकारी विद्यालय में नर्सरी, एलकेजी एचकेजी की कक्षाएं नहीं चलती हैं। सरकार को चाहिए कि सरकारी विद्यालयों में भी नर्सरी से क्लासेस शुरू की जाएं सरकारी या प्रवेश की आयु में 5 वर्ष का नियम पुन: लागू किया जाए।
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