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सरिस्का में 33 टाइगर्स ट्रैकर्स, फिर भी निगरानी तंत्र फेल, बाघ हो रहे गायब

अगर आपकी वन विभाग में थोड़ी जानकारी है तो आप भी टाइगर ट्रैकर बन सकते हैं। अगर अधिकारियों के कृपापात्र रहे तो नौकरी भी लंबी चलेगी और हटाने की हिम्मत भी नहीं करेगा। सरिस्का बाघ अभयारण्य में भी कुछ ऐसा ही चल रहा है।

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Sep 20, 2024

अलवर.

अगर आपकी वन विभाग में थोड़ी जानकारी है तो आप भी टाइगर ट्रैकर बन सकते हैं। अगर अधिकारियों के कृपापात्र रहे तो नौकरी भी लंबी चलेगी और हटाने की हिम्मत भी नहीं करेगा। सरिस्का बाघ अभयारण्य में भी कुछ ऐसा ही चल रहा है। यहां ट्रैकर्स के चयन की कोई विशेष योग्यता नहीं है। यही वजह है कि बाघ पर बाघ गायब हो रहे हैं, लेकिन ट्रैकर्स को इसकी हवा तक नहीं लग रही।

दरअसल, 2008 में जब रणथम्भौर दर्रा से एसटी-01 सुल्तान को लाया गया था तो बात उठी की बाघ कहां जा रहा है, इसका पता कैसे चलेगा। इस पर टाइगर ट्रैकर्स नियुक्त करने का फैसला किया गया। इस समय करीब 33 ट्रैकर्स को टाइगर को ट्रैक करने की जिम्मेदारी सौंप रखी है। इसके बाद भी कई बाघों का अतापता नहीं है।

वेतन का कोई मापदंड नहीं

इन ट्रैकर्स को 10 से 12 हजार रुपए तक वेतन मिलता है। 2008 से इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। सबसे बड़ी बात है कि नए ट्रैकर और पुराने ट्रेकर के वेतन में कोई अंतर नहीं है। हालांकि यह बहुत कम है और इसमें बढ़ोतरी की कई बार मांग उठ चुकी है। उधर, टाइगर की ट्रैकिंग के लिए पेट्रोल खर्च वन विभाग अलग से देता है। सुबह 6 से शाम 6 बजे तक मोटरसाइकिल पर एंटीना के माध्यम से यह ट्रैकिंग की जाती है। इसके बाद शाम 7 से सुबह 6 बजे तक वन विभाग के कर्मचारी जिप्सी के माध्यम से टाइगर को ट्रैक करते हैं।

चयन में नहीं देखते ट्रैक रिकॉर्ड

वन विभाग के चयन की प्रक्रिया सवालों के घेरे में है। चयन के समय इन ट्रैकर्स का ट्रैक रिकॉर्ड तक चेक नहीं किया जाता है। पुलिस वेरीफिकेशन तक नहीं कराया जाता है। चयन के बाद ट्रैकिंग को लेकर कोई ट्रेनिंग भी नहीं दी जाती है।

कोई निगरानी तंत्र भी नहीं

ट्रैकर्स की निगरानी के लिए कोई मैकेनिज्म नहीं है। टाइगर की ट्रैकिंग के समय उसकी हर एक घंटे की रिपोर्ट विभाग को ट्रैकर्स की ओर से भेजी जाती है। उसके वीडियो और फोटो भी भेजे जाते हैं। मगर ट्रैकर्स किसी और को भी यह जानकारी शेयर कर सकता है। इस पर रोक के कोई इंतजाम नहीं हैं।

ट्रैकर्स की निगरानी होनी चाहिए

सरिस्का टाइगर कंजर्वेशन ऑर्गेनाइजेशन के सचिव चिन्मय मक मैसी ने कहा कि ट्रैकर्स की पगार में बढ़ोतरी के साथ उन्हें सुविधाएं मिलनी चाहिए, लेकिन इन ट्रैकर्स की निगरानी होनी चाहिए।

ट्रैकर्स होने के बावजूद बाघ गायब

-एसटी-11 को सरिस्का का सबसे मजबूत टाइगर माना जाता था, लेकिन मार्च, 2018 में फंदे में फंसकर इसकी मौत हो गई।
-एसटी-13 जनवरी, 2021 से गायब है। चार साल भी इसकी कोई जानकारी नहीं है।
-एसटी-05 की मार्च, 2018 में हमीरपुर में ट्रैकिंग हुई थी, उसके बाद से इसका कोई अतापता नहीं है।
-एसटी-2305 भी दो-तीन महीने से गायब है। इसकी उम्र 3 साल से ज्यादा है।

Published on:
20 Sept 2024 11:17 am
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