अलवर. मुंडावर के बल्लूबास गांव की रहने वाली मनोज देवी पांचवीं पास है। मनोज देवी ने वर्ष 2020 में गांव की कुछ महिलाओं को अपने साथ जोड़कर एक स्वयं सहायता समूह तैयार किया। आज इस समूह की हर महिला आत्मनिर्भर है और महीने में इनकी अच्छी-खासी कमाई हो जाती है। शुरुआत में इस ग्रुप की महिलाएं […]
अलवर. मुंडावर के बल्लूबास गांव की रहने वाली मनोज देवी पांचवीं पास है। मनोज देवी ने वर्ष 2020 में गांव की कुछ महिलाओं को अपने साथ जोड़कर एक स्वयं सहायता समूह तैयार किया। आज इस समूह की हर महिला आत्मनिर्भर है और महीने में इनकी अच्छी-खासी कमाई हो जाती है।
शुरुआत में इस ग्रुप की महिलाएं रोस्टेड मूंग से नमकीन उत्पाद बनाकर बाजार में बेचती थीं। इससे आय अच्छी होने लगी, तो इनका उत्साह बढ़ा। इसके बाद कुछ नया करने का विचार आया, तो इन्होंने मिल्क केक (कलाकंद) बनाकर बेचना शुरू कर दिया। आज इनके हाथों का बना मिल्क केक पूरे इलाके में फेमस है। इस समूह के जुड़ी महिलाएं जिलेभर में लगने वाले मेलों व प्रदर्शनियों में भी मिल्क केक का स्टॉल लगाती हैं। खास बात यह है कि यह मिल्क केक महिलाएं गांव में तैयार करती हैं और मनोज देवी उसे बाजार में बेचती है।
मनोज देवी बताती हैं कि कोरोना काल के दौरान मेरे गांव की ज्यादातर महिलाओं के पास कोई काम नहीं था। सारा दिन घर पर रहना पड़ता था। उसी दौरान दौसा से राजीविका की टीम आई और महिलाओं से संपर्क कर समूह बनाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद हमने समूह तैयार किया और आज गांव की ज्यादातर महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त बन चुकी हैं। मनोज देवी ने बताया कि अलवर के मिनी सचिवालय में राजीविका की ओर से दी गई स्टॉल पर हमने कलाकंद बेचकर दो घंटे में ही तीन जार रुपए कमाए, तो हौसला और बढ़ गया
विरोध भी हुआ, लेकिन हार नहीं मानी
मनोज देवी बताती हैं कि जब हमने समूह का गठन किया, तब ज्यादातर महिलाओं के परिवार वालों ने इसका विरोध किया। इनका कहना था कि हमारे घर की महिलाएं सामान बेचने बाहर नहीं जाएंगी। तब मैंने इनको समझाया और इस तरह हमारे समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत बन गईं। ऐसे परिवारों को समझाना बड़ी चुनौती थी, लेकिन मैंने इस चुनौती को स्वीकार किया। मैंने महिलाओं के परिजनों को समझाया कि आपके घर की महिलाएं आपके घर पर रहकर ही काम करेंगी और मैं बाहर जाऊंगी। इसका मेरे पति ने विरोध किया। खेती-बाड़ी करने वाले मेरे पति को यह स्वीकार नहीं था, फिर उनको भी समझाया। अनुमति मिलने पर काम शुरू किया। अब मेरे पति व बेटा भी मेरे काम में सहयोग करते हैं।
© 2025 All Rights Reserved. Powered by Summit