मोटी लागत लगाकर कण की बुवाई कर तैयार किया था बीज। सुरक्षा के लिए घर में लाकर कूलर- पंखे लगा दिए, ताकि उमस व गर्मी से बचा रहे। अगस्त माह में हो जाती थी बुवाई की शुरुआत, अभी खेत ही तैयार नहीं हो पाए।
अलवर. जिले में हो रही बरसात से प्याज की खेती करने वाले किसानों के चेहरों पर चिंता झलक रही है। घरों में रखा प्याज का बीज भी खराब हो रहा है। अगर आगे भी बरसात होती रही तो प्याज की बुवाई में देरी होने की संभावना है।
अलवर जिले की लाल सोना कहे जाने वाली प्याज जो स्वाद के लिए देश-विदेश में भी विख्यात मानी जाती है। प्याज की खेती अगस्त माह के दूसरे सप्ताह में लगना प्रारंभ हो जाती है। अब भादो मास प्रारंभ हो गया है और अभी बरसात नहीं रुकने से खेत जुताई के लायक नहीं हुए है। ऐसे में बरसात के कारण प्याज का बीज खराब होने लगा है।
मोटी रकम की खर्च
किसानों का कहना है कि मोटी लागत लगाकर कण की बुवाई कर बीज तैयार किया था और घर में लाकर कूलर- पंखे लगा दिए, ताकि उमस व गर्मी से बची रहे, लेकिन अभी तक खेत तैयार नहीं होने की वजह से उनकी बुवाई नहीं हो रही है। जिससे प्याज का बीज खराब हो रहा है। अकबरपुर, उमरैण, साहोडी, धवाला, धर्मपुरा, चांद पहाड़ी, ढहलावास, बख्तपुरा, माचडी, पलखडी सहित अन्य गांवों में प्याज की खेती में देरी हो रही है।
बरसात के चलते सड़ने व गलने लगा है
किसान रमेश गुर्जर, जय किशन आदि का कहना है कि प्याज की बुवाई अगस्त माह में होना प्रारंभ हो जाती है, लेकिन इस बार हो रही लगातार बरसात के कारण खेत तैयार नहीं हो पाए है। खेतों में नमी होने के कारण जुताई भी नहीं हो रही है। ऐसे में प्याज का बीज काफी खराब हो गया है। प्याज का कण सूखने के लिए रखा था, लेकिन अब बरसात के चलते सड़ने व गलने लगा है। बताया जा रहा है कि आगे और भी मानसून सक्रिय है। बरसात की वजह से खेतों में पानी भर जाता है और पानी सूखने में काफी समय लगता है। अगर सितंबर माह में भी बरसात इसी तरह आती रही तो प्याज की खेती पछेती हो जाएगी। बाद में सर्दी आने से प्याज की खेती नहीं हो सकेगी, जिसके कारण किसानों को खेती में परेशानी होगी। अगस्त माह में खेती की बुवाई हो जाती तो उत्पादन भी अच्छा होता।