अलवर जिले के 289 गांव जल जीवन मिशन से अब तक अछूते रह गए हैं। इन गांवों में घर-घर नल कनेक्शन से पानी पहुंचाने के लिए अब ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) के तहत योजना तैयार की जा रही है।
अलवर जिले के 289 गांव जल जीवन मिशन से अब तक अछूते रह गए हैं। इन गांवों में घर-घर नल कनेक्शन से पानी पहुंचाने के लिए अब ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) के तहत योजना तैयार की जा रही है। हालांकि यह प्रोजेक्ट लंबा है, ऐसे में पानी पहुंचने में 5 से 6 साल का समय लग सकता है। यही नहीं पहले जल संसाधन विभाग का प्लान तैयार करेगा। उसके बाद घर-घर जल पहुंचाने का काम जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से किया जाएगा। जिसका अलग से प्लान बनेगा।
दरअसल, जल जीवन मिशन के तहत राज्य सरकार ने 2024 तक जिले के सभी गांवों में नल कनेक्शन देने की दिशा में काम शुरू किया था, लेकिन 289 गांवों में योजना के तहत कोई काम नहीं हुआ। वहीं 67 गांवों में बोरवेल किए गए, लेकिन उनमें पानी नहीं आया। ऐसे में अब ईआरसीपी परियोजना ही इन गांवों के लिए स्थायी जल स्रोत साबित हो सकती है। अधिकारियों ने बताया कि जिन गांवों में वर्तमान में जल जीवन मिशन के तहत जलापूर्ति संभव नहीं हो पा रही, उन्हें ईआरसीपी के नेटवर्क से जोड़ा जाएगा।
ईआरसीपी के तहत राजस्थान के पूर्वी जिलों-अलवर, भरतपुर, दौसा, करौली और सवाई माधोपुर में चंबल बेसिन से पानी लाने की योजना है। परियोजना का पूरा काम छह साल में पूरा होने की उम्मीद है। इसके तहत अलवर जिले में नई पाइपलाइन बिछाने, टैंक निर्माण और पंप हाउस स्थापित करने की योजना तैयार की जा रही है। फिलहाल योजना के तहत ड्रोन सर्वे का काम किया जा रहा है।