आने वाले दिनों में शहर में उपेक्षित बच्चों को रखने का संकट गहरा सकता है। दरअसल, सरकार ने अघोषित रूप से शहर के बालगृहों को बंद करने की तैयारी कर ली है।
आने वाले दिनों में शहर में उपेक्षित बच्चों को रखने का संकट गहरा सकता है। दरअसल, सरकार ने अघोषित रूप से शहर के बालगृहों को बंद करने की तैयारी कर ली है। सरकार संभवत: अपने स्तर पर इनका संचालन करेगी। इसके चलते शहर में चल रहे बालगृहों को पिछले कई साल से अनुदान नहीं दिया गया है। ऐसे में सरकारी मदद पर ऐसे बच्चों को आसरा देने वाली संस्थाओं ने हाथ खींच लिए हैं। गैर सरकारी संस्थाओं के हाथ खींच लेने से जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष अब बच्चों को आसरा देने की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। फिलहाल बालिकाओं को सखी वन स्टॉप सेंटर पर ही रखा जा रहा है। बालगृहों का संचालन बाल अधिकारिता विभाग की ओर से किया जाता है। पूर्व में ही बजट नहीं मिलने के कारण गोरा धाय फोस्टर केयर सेंटर को बंद किया जा चुका है।
अलवर में वर्तमान में एक मात्र बालिका गृह सोनावा की डूंगरी में संचालित है। सरकार की ओर से नवीनीकरण न होने तथा बजट नहीं मिलने पर आरती बालिका गृह संचालक ने बालिकाओं को रखने से इनकार कर दिया है। ऐसे में जिला बाल संरक्षण इकाई की ओर से अस्थाई तौर पर बालिकाओं को रखने के लिए सखी वन स्टॉप सेंटर पर व्यवस्था की गई है।
सरकारी स्तर पर बालगृहों का संचालन निजी संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है। इन संस्थाओं को दो से तीन साल तक अपने खर्च पर ही बालगृहों का संचालन करना होता है। इसके बाद सरकार बजट देती है, लेकिन अलवर शहर में संचालित बालगृहों को चलते हुए लंबा समय हो चुका है। इसके बावजूद सरकार की ओर से बजट नहीं दिया गया है।
जिले के एक मात्र बालक गृह को भी आर्थिक सहायता नहीं मिल रही है। चोर डूंगरी के समीप संचालित इस बालक गृह के संचालक नरेंद्र सिंह का कहना है कि सात साल से बालगृहों को बजट नहीं मिला है। बिना बजट के बच्चों का पेट भरना मुश्किल हो रहा है। फिलहाल 10 बालक रह रहे हैं। इनका पालन पोषण व शिक्षा का खर्च बालगृह ही उठाता है। बालगृह का नवीनीकरण हो चुका है। इसके बाद भी बजट नहीं दिया जा रहा। विभागीय अधिकारियों को भी कह दिया है कि बिना बजट के बालगृह चलाना संभव नहीं है। इस बाल गृह में बालश्रम, निराश्रित और भिक्षावृत्ति से जुड़े बच्चों को रखा जाता है।
आरती बालिका गृह संचालक ने बालगृह का नवीनीकरण नहीं होने तक बालिकाओं को रखने से इनकार कर दिया है, इसलिए अस्थाई तौर पर बालिकाओं को सखी वन स्टॉप सेंटर पर रखा जा रहा है। स्थाई रहने वाली बालिकाओं को जरूरर होने पर जयपुर भेजा जाएगा। बालक गृह संचालक की फाइल बजट अनुमोदन के लिए मुख्यालय भेजी गई है - संजय वर्मा, सहायक निदेशक, बाल अधिकारिता विभाग, अलवर।