एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक या गलत इस्तेमाल लोगों स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। एक अध्ययन के अनुसार देश में 2019 में सेप्सिस से होने वाली 29.9 लाख मौतों में से 60 प्रतिशत मौत बैक्टीरिया संक्रमण के कारण हुई है। इनमें से करीब 10.4 लाख सेप्सिस मौतें एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर ) से जुड़ी हैं।
अलवर में हर महीने 10 करोड़ से ज्यादा की एंटीबायोटिक दवाओं की हो रही है बिक्री
देश में करीब 44.5 प्रतिशत मौतें भी हुई इसी से
अलवर. एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक या गलत इस्तेमाल लोगों स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। एक अध्ययन के अनुसार देश में 2019 में सेप्सिस से होने वाली 29.9 लाख मौतों में से 60 प्रतिशत मौत बैक्टीरिया संक्रमण के कारण हुई है। इनमें से करीब 10.4 लाख सेप्सिस मौतें एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर ) से जुड़ी हैं। जबकि 2.9 लाख मौतें सीधे तौर पर एएमआर के कारण हुई।
अलवर जिले में भी हर महीने करीब 10 करोड़ रुपए से अधिक की एंटी बायोटिक दवाओं की बिक्री हो रही है। जिले में हर महीने दवाओं का करीब 25 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार होता है। इसमें से करीब 40 प्रतिशत एंटी बायोटिक, 30 प्रतिशत डायबिटिक व कार्डियक और करीब 30 प्रतिशत गायनी संबंधी, मल्टी विटामिन व दर्द निवारक दवाओं की बिक्री होती है। एंटी बायोटिक दवाओं में सर्दी, खांसी-जुकाम, बुखार व मौसमी बीमारियों की दवाओं को कारोबार सबसे अधिक होता है।
चिकित्सक की सलाह के बिना नही लें दवा
सर्दी, खांसी-जुकाम व बुखार आदि बीमारियों होने पर अधिकांश लोग स्वयं के स्तर पर ही मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक दवाएं खरीद कर ले रहे हैं। इसके अलावा अक्षम चिकित्सक भी एंटी बायोटिक लिख रहे हैं। मेडिकल स्टोर संचालक भी मरीजों को अन्य दवाओं के साथ जबरन एंटी बायोटिक दवाएं दे रहे हैं। इससे शरीर में अधिक मात्रा में एंटी बायोटिक पहुंच रही है। स्थिति यह हो रही है कि तीन दिन तक दवा खाने के बाद व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं हो पा रहा है। इससे व्यक्ति को कई दिनों तक दवा खानी पड रही है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ रहा विपरीत असर
विशेषज्ञों के अनुसार एएमआर एक ऐसी स्थिति है जिसमें एंटीबोयोटिक दवाओं के गलत इस्तेमाल के कारण बैक्टीरिया, वायरस व संक्रमण आदि के खिलाफ दवाओं का असर होना कम या बंद हो जाता है। एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक सेवन से सूक्ष्म जीवी इतने शक्तिशाली हो जाते हैं कि बाद में यही एंटी माइक्रोबियल ड्रग्स उनके सामने प्रभावहीन साबित होते हैं। इसके कारण चिकित्सकों को भी बार-बार मरीज की दवाइयां बदलनी पड़ती है। वहीं, अनावश्यक एंटी बायोटिक दवाओं के सेवन से बीमारी और भी बढ़ सकती है।