वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि यह बड़ी परियोजना है। इसमें काफी समय लगेगा। यह योजना 2039 तक अमलीजामा पहनेगी।
राजस्थान की भजनलाल सरकार ईआरसीपी के पानी को जल्द से जल्द लाने का दावा कर रही है। मगर विपक्ष लगातार योजना को लेकर सवाल उठा रहा है। इसी बीच प्रदेश के वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री संजय शर्मा ने सोमवार को जिला अस्पताल में नेत्रदान पखवाड़ा कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पत्रकारों से बातचीत में ईआरसीपी परियोजना को लेकर बड़ा बयान दिया।
उन्होंने कहा कि यह बड़ी परियोजना है। इसमें काफी समय लगेगा। यह योजना 2039 तक अमलीजामा पहनेगी। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट की जितनी भी एनओसी थी, उन्हें सीएम भजनलाल शर्मा ने स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में मंजूरी दे दी है। योजना के तहत सवाईमाधोपुर में डूंगरी बांध बनेगा, लेकिन वहां के कुछ ग्रामीणों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा उनसे समझाइश कर रहे हैं। जल्द ही मामले को सुलझा लिया जाएगा।
शर्मा ने कहा कि अलवर और भरतपुर के पूर्व महाराजाओं के बीच रूपारेल नदी के पानी को लेकर वर्ष 1915 में जो संधि हुई थी, उसे प्रभावित किए बिना अलवर के लोगों को उनका हक दिलाने का प्रयास करेंगे। इसके लिए वे मुख्यमंत्री से आग्रह करेंगे।
उन्होंने कहा कि अलवर में पानी की विशेष समस्या है, जबकि भरतपुर में चंबल का पानी आने लगा है, वहां पानी की समस्या भी नहीं है। ऐसे में संभव होगा तो पूर्व की त्रुटि को सही कराया जाएगा। स्टेट समय से अलवर का आधा पानी रूपारेल नदी के जरिए भरतपुर जाता है। उस पूरे पानी को अलवर लाने का प्रयास करेंगे। इस संबंध में पूर्व में उनके द्वारा प्रश्न भी उठाया गया था।
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उन्होंने कहा कि नटनी के बारां से जयसमंद तक नहर के जीर्णोद्धार के लिए 40 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए है। जल्द ही इसके टेंडर होंगे। इसके बाद काम शुरू हो सकेगा। उन्होंने कहा कि जयसमंद बांध बहाव क्षेत्र में पूर्व जिला कलक्टर जितेंद्र कुमार सोनी के कार्यकाल में अतिक्रमण हटाए गए थे। अब फिर से अतिक्रमणों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ताकि नटनी का बारा का पानी जयसमंद बांध में आ सके। इससे आने वाले समय में शहर में पानी कमी दूर होगी।