मानसून की दस्तक जून के आखिरी सप्ताह में होने का अनुमान है। इस बारिश में सडक़ों के गड्ढे जानलेवा साबित हो सकते हैं। अभी हाल ही में आई बारिश में भी पानी भरने से यह गड्ढे लोगों को दिखाई नहीं दिए और लोग चोटिल हो गए।
ईटाराणा से सब्जी मंडी जा रहे मार्ग पर कई जगह गड्ढे ही गड्ढे
काली मोरी, पुराना कलक्ट्रेट मार्ग, वार्डों को जोडऩे वाले मुख्य मार्ग टूटे
अलवर. मानसून की दस्तक जून के आखिरी सप्ताह में होने का अनुमान है। इस बारिश में सडक़ों के गड्ढे जानलेवा साबित हो सकते हैं। अभी हाल ही में आई बारिश में भी पानी भरने से यह गड्ढे लोगों को दिखाई नहीं दिए और लोग चोटिल हो गए। यूआईटी व नगर निगम को इस पर काम करना था, लेकिन उन्होंने आंखें मूंद ली हैं।
ईटाराणा से आईटीआई तक सीसी सडक़ बना दी गई, लेकिन इससे आगे रेलवे स्टेशन के दूसरी साइड तक सडक़ नहीं बनाई गई। इस मार्ग में दर्जनों गहरे गड्ढे हैं। यह पिछले साल भी जनता को दर्द देते रहे और इस बार भी बारिश में परेशान करेंगे। लोगों का कहना है कि यहां दोपहिया वाहन नहीं चल पा रहे हैं। पटरी पार एरिया में कोई विकास कराने को राजी नहीं है। यूआईटी व नगर निगम को इस ओर ध्यान देना चाहिए था। जहां भरतपुर, डीग के लिए रेलवे स्टेशन के पास बसें खड़ी होती हैं, वहां से लेकर हनुमान सर्किल, सब्जी मंडी मोड़ से अग्रसेन मार्ग जर्जर हो गया है। इसके अलावा पुराने कलक्ट्रेट मार्ग पर भी गड्ढे खूब हैं। मंडी के पीछे स्वर्ग रोड को जोडऩे वाले मार्ग पर सीवर का चैंबर टूट गया, जिससे आए दिए वाहन चालक गिरकर चोटिल हो रहे हैं।
यहां भी चलना मुश्किल
वार्डों को जोडऩे वाली सडक़ें भी जर्जर हैं। 200 फीट मार्ग से वंडर सिटी मार्ग, जेके कॉलोनी मार्ग, 200 फीट से एनईबी वाला मार्ग भी जर्जर हो गया। यहां सीवर लाइन डालने के चलते पूरी सडक़ उखाड़ दी गई, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है। काली मोरी पर मलबा गड्ढों में डाला गया, लेकिन वह निकल गया। ऐसे में लोगों को फिर से गड्ढे दर्द देने लगे हैं। यहां से हजारों की संख्या में वाहनों का आना-जाना है। सामोला से शहर में प्रवेश करने के दौरान काली मोरी का सामना करना पड़ता है। यहां के गड्ढे शहर की छवि पर दाग लगा रहे हैं। यूआईटी के अधिकारियों का कहना है कि टीम भेजकर जांच कराएंगे और फिर गड्ढे भरवाए जाएंगे।