दिवाली से पहले ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हवा की गुणवत्ता बिगड़ने लगी है। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए प्रशासन ने ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रेप) के दूसरे चरण (ग्रेप-2) को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। भिवाड़ी में शुक्रवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 220 दर्ज किया गया, जबकि अलवर का एक्यूआई 100 के आसपास पहुंच गया है।
अलवर। दिवाली से पहले ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हवा की गुणवत्ता बिगड़ने लगी है। वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए प्रशासन ने ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रेप) के दूसरे चरण (ग्रेप-2) को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। भिवाड़ी में शुक्रवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 220 दर्ज किया गया, जबकि अलवर का एक्यूआई 100 के आसपास पहुंच गया है।
यह साफ संकेत है कि हवा अब मध्यम से खराब श्रेणी में प्रवेश कर चुकी है। वहीं, इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर ग्रीन पटाखों की सशर्त अनुमति दी है। हालांकि पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रीन पटाखों से भी प्रदूषण स्तर में बढ़ोतरी होगी और वायु गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।
दिवाली के दौरान वातावरण में नमी, कम तापमान और हवा की धीमी गति के चलते धुएं और धूलकणों का फैलाव रुक जाता है, जिससे एक्यूआई तेजी से बढ़ता है। विभाग के अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की है कि दिवाली पर सीमित मात्रा में ही ग्रीन पटाखे जलाएं, वाहन का उपयोग कम करें और पर्यावरण की रक्षा में सहयोग दें।
ग्रेप-2 के तहत डीजल जनरेटरों के उपयोग पर रोक, निर्माण कार्यों में डस्ट नियंत्रण व्यवस्था अनिवार्य, पार्किंग शुल्क बढ़ाने, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की आवाजाही पर पाबंदी और निगरानी तंत्र को और सशक्त करने जैसे कदम उठाए जाएंगे। औद्योगिक इकाइयों को भी अपने उत्सर्जन स्तर की नियमित रिपोर्ट देनी होगी।
पिछले साल दिवाली के समय दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच गई थी। दिल्ली में एक्यूआई 500 से अधिक और भिवाड़ी में 340 तक दर्ज हुआ था। इस बार भी खतरा बना हुआ है, इसलिए प्रशासन ने पहले से तैयारियां शुरू कर दी हैं।
प्रदूषण विभाग के अधिकारियों कहना है कि 24 घंटे निगरानी के लिए टीमें गठित कर दी हैं। मॉनिटरिंग के लिए सामान्य चिकित्सालय पर पहले ही प्रदूषण मापक यंत्र लगे हैं। इसके अलावा काला कुआं और होपसर्कस पर अस्थाई तौर पर यंत्र लगाए गए हैं।
एमआईए, भिवाड़ी, नीमराणा और टपूकड़ा क्षेत्र में सैकड़ों फैक्टरियां संचालित हैं। ग्रेप-2 के लागू होने से इन पर सीधा असर पड़ेगा। उत्पादन की गति धीमी हो सकती है और कुछ इकाइयों को अस्थायी तौर पर काम रोकना भी पड़ सकता है। प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी है और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीमें लगातार सैंपल जांच में जुटी हैं।