अलवर

राजस्थान में है भारत की सबसे छोटी नदी, जो लुप्त होने के बाद फिर बहने लगी

भारत की सबसे छोटी नदी मानी जाने वाली अरवरी नदी राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह नदी सूखने और फिर से बारहमासी नदी बनने व इसे जीवित करने वाले 70 गांवों के लोगों की कहानी खुद में समेटे हुए है।

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May 18, 2024

भारत की सबसे छोटी नदी मानी जाने वाली अरवरी नदी राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। अरवरी नदी, अलवर जिले की एक छोटी सी गुमनाम नदी है। यह नदी राजस्थान के अलवर जिले में 45 किलोमीटर तक बहती है। यह नदी 60 सालों तक सूखी रहने के बाद फिर से बहने के लिए चर्चित है। अरवरी नदी का अलवर जिले में थानागाजी के नजदीक साकरा बांध है, जहां से अरवरी नदी का उद्गम होता है। यह नदी सूखने और फिर से बारहमासी नदी बनने व इसे जीवित करने वाले 70 गांवों के लोगों की कहानी खुद में समेटे हुए है। 


नदी के सूखने की शुरुआत झिरी गांव से

18वीं शताब्दी के दौरान, अरवरी नदी जिसे प्रतापगढ़ नाले के नाम से भी जाना जाता था। यह घने जंगलों से घिरी एक बारहमासी नदी थी। स्थानीय आबादी मुख्य रूप से पशुपालन का काम करती थी और उन्हें कम पानी की आवश्यकता पड़ती थी। जैसे-जैसे समय बीतता गया और परिवारों का विस्तार हुआ, कृषि के विकास के कारण पानी के उपयोग में वृद्धि हुई। इस अत्यधिक खपत से भूमिगत जल स्तर गिरता गया। लेकिन, अरवरी नदी के सूखने की शुरुआत झिरी गांव से हुई। 

आसपास के क्षेत्रों में फैल गया जल संकट 

यहां 1960 के दशक में संगमरमर की खुदाई का काम शुरू हुआ था। खुदाई जारी रखने के लिये खदानों में जमा भूमिगत जल को लगातार निकाला गया। इस प्रक्रिया ने पानी की कमी को बड़ा दिया गया। आखिर में अरवरी नदी सन 1960 के बाद के सालों में सूख गई। झिरी गाँव में पानी का संकट गहराया और समय के साथ यह जल संकट पड़ोसी गांवों और आसपास के क्षेत्रों तक फैल गया। जल संकट के परिणामस्वरूप लोग काम की तलाश में शहरों की ओर जाना शुरू कर दिया। 


पहली बार अक्टूबर माह तक पानी बहता दिखा

इसके बाद जल परियोजनाओं पर काम करने के लिए तरुण भारत संघ एक स्वयंसेवी संगठन ने इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने पहाड़ियों के नीचे छोटे-छोटे तालाब बनाने शुरू किए जिन्हें जोहड़ कहा जाता है। बारिश के साथ ये जोहड़ भरने लगे, हालांकि अरवरी नदी अभी सूखी ही थी लेकिन इन भरे हुए जोहड़ों के पानी ने कुओं को भर दिया और लोगों आश जगा दी। आखिर में सन 1990 में अरवरी नदी में पहली बार, अक्टूबर माह तक पानी बहता दिखा। 

तब से अब तक

जिससे लोगों का आत्मविश्वास बढ़ा और भरोसा मजबूत हुआ। इसके बाद काम को और आगे बढ़ाया गया। आखिर में सन 1995 के आते-आते पूरी अरवरी नदी जिन्दा हो गई और या पूरी तरह बहने लगी। तब से अब तक, अरवरी नदी बारहमासी हो गई जो आज भी बहती है।

Updated on:
19 May 2024 08:47 am
Published on:
18 May 2024 06:07 pm
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