अलवर. सावन के महीने में कई महिलाओं ने अपने घरों का शेड्यूल बदल दिया है। शहर में दो स्थानों (बाबा हीरानाथ आश्रम व महावर धर्मशाला) पर शिव महापुराण कथा का आयोजन हो रहा है। ये कथाएं दोपहर दो बजे बाद से शुरू होती हैं। कथा सुनने के लिए महिलाएं घर के काम दोपहर से पहले से […]
अलवर. सावन के महीने में कई महिलाओं ने अपने घरों का शेड्यूल बदल दिया है। शहर में दो स्थानों (बाबा हीरानाथ आश्रम व महावर धर्मशाला) पर शिव महापुराण कथा का आयोजन हो रहा है।
ये कथाएं दोपहर दो बजे बाद से शुरू होती हैं। कथा सुनने के लिए महिलाएं घर के काम दोपहर से पहले से निपटा रही हैं। घरों में दिन का खाना जल्दी बन रहा है। दोपहर को आराम करना बंद कर दिया है। सास-बहू के सीरियल से भी ब्रेक ले लिया है। यह पूरी कवायद इसलिए हो रही है कि ताकि दोपहर को कथा सुनने जा सकें। घर-परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ ही ये महिलाएं भगवान के लिए भी समय निकाल रही हैं। सास-बहू और देवरानी-जेठानी एक साथ कथा सुनने पहुंच रही हैं।
मैं प्रतिदिन दोपहर को 2.45 बजे ई-रिक्शा से महावर धर्मशाला में आकर शिव महापुराण की कथा सुनती हूं। इससे पहले घर के सभी जरूरी काम निपटा लेती हूं। कथा के बाद शाम को करीब 6:30 बजे बेटे के साथ घर जाती हूं। -
गंगा गुप्ता, साउथ वेस्ट ब्लॉक
रोज की दिनचर्या से फ्री होकर मन में शिव महापुराण की कथा का जुनून रहता है, इसलिए जल्दी घर का काम निपटाती हूं। महावर धर्मशाला में कथा सुनती हूं। महापुराण सुनना हर महिला के लिए जरूरी है। -
सुनीता जैन, अलवर शहर
घर-परिवार में अपने और भगवान के लिए समय निकालना मुश्किल होता है। इसके बावजूद मैं कथा के लिए समय निकालती हूं। दोपहर २ बजे घर के काम निपटा लेती हूं। पहले मैं सीरियल देखती थी। -
विमला देवी, मोती नगर
कथा का समय दोपहर का है, इससे पहले घर के सभी काम निपटा लेती हूं। बच्चों व पति को भी कथा सुनने के लिए साथ लाई हूं। शाम को कथा के बाद घर पहुंचकर फिर से घर के काम में जुट जाती हूं। -
संजना, खोहरा मौहल्ला