अलवर नगर निगम द्वारा खरीदी गई दो जेसीबी पिछले 5 महीने से गैराज में खड़ी हैं, जिससे फिजूलखर्ची को लेकर सवाल उठ रहे हैं। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इनसे कचरा नहीं उठाया जा सकेगा। यह फिजूलखर्ची है।
अलवर नगर निगम द्वारा खरीदी गई दो जेसीबी पिछले 5 महीने से गैराज में खड़ी हैं, जिससे फिजूलखर्ची को लेकर सवाल उठ रहे हैं। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इनसे कचरा नहीं उठाया जा सकेगा। यह फिजूलखर्ची है। इन्हें वापस कंपनी को भेजा जाए। साथ ही उन्होंने सरकार से कहा है कि इस मामले में नगर निगम आयुक्त जीतेंद्र नरूका, लेखाधिकारी हंसराज मीणा व एक्सईएन निर्माण खेमराज मीणा जिम्मेदार हैं?
ऐसे में सरकार सीधे अपने स्तर से निर्णय ले। क्योंकि नगर निगम की ओर से आरोपियों के नाम सरकार को नहीं भेजे रहे। डीएलबी की सतर्कता शाखा भी आरोप पत्र जारी करने के लिए नामों का इंतजार कर रही है। स्थानीय शासन विभाग के उपनिदेशक कार्यालय की जांच में 2 जेसीबी खरीद में 12.87 लाख का घोटाला सामने आने के बाद वहां से आरोपियों के नाम मांगे गए थे।
नगर निगम की ओर से एक माह तक आरोपियों के नाम नहीं भेजे गए, तो अब जनप्रतिनिधियों ने फिर से मामला सरकार के पास पहुंचा दिया है। साथ ही किराए पर ली गई जेसीबी का टेंडर भी निरस्त करने की मांग की है। मालूम हो कि गाजियाबाद नगर निगम ने 27 लाख में एक जेसीबी खरीदी और अलवर निगम ने 35 लाख रुपए की जेसीबी खरीदी थी।
लेखाधिकारी हंसराज मीणा का कहना है कि उनकी ओर से खरीदी गई जेसीबी गाजियाबाद निगम से भिन्न हैं। ऐसे में उनका नाम सरकार को भेजने की जरूरत ही नहीं है। बताया जा रहा है कि तीन आरोपियों में से एक अधिकारी का प्रमोशन हाल ही में हो गया, जिसके चलते निगम के अधिकारी इनका नाम सरकार को नहीं भेज रहे थे, अन्यथा प्रमोशन रुक जाता।
नियमों के तहत ही जेसीबी खरीदी गई हैं। गाजियाबाद नगर निगम से हमारी जेसीबी अलग हैं, इसलिए दरें ज्यादा हैं। - जीतेंद्र सिंह नरूका, आयुक्त, नगर निगम