MP News: हल्दी-मेहंदी लगे हुए दूल्हा या दुल्हन गांव की सीमा से बाहर नहीं जाते। लेकिन जागरुकता आई तो शिक्षा का महत्व इन रीति रिवाजों पर भारी पड़ने लगा है। इसके उदाहरण शासकीय पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस कॉलेज में बीए फाइनल की परीक्षा के दौरान देखने मिले।
MP News: हल्दी-मेहंदी लगे हुए दूल्हा या दुल्हन गांव की सीमा से बाहर नहीं जाते। लेकिन जागरुकता आई तो शिक्षा का महत्व इन रीति रिवाजों पर भारी पड़ने लगा है। इसके उदाहरण अशोकनगर के शासकीय पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस कॉलेज में बीए फाइनल की परीक्षा के दौरान देखने मिले। जहां पर बारात रोक पांच दूल्हे व एक दुल्हन हल्दी-मेहंदी लगे हुए ही परीक्षा देने पहुंचे। परीक्षा केंद्र पर छोटे-छोटे बच्चों को चाचा व बुआ बाहर संभालते रहे और अंदर कक्ष में उनकी माताएं अपने कोर्स के साथ ममता की परीक्षा एक साथ देते नजर आईं।
पहाड़ा गांव निवासी 21 वर्षीय प्रहलाद केवट का घर पर विवाह कार्यक्रम चल रहा था। उसकी बारात राजस्थान के छबड़ा जाना है, इसलिए बारात जाने की जल्दी तैयारी हो गई। लेकिन प्रहलाद केवट बारात को रोककर पहले बीए फाइनल की परीक्षा देने पहुंचा। जिसने पहले परीक्षा दी और फिर शाम को घर पहुंचा व बारात रवाना हुई।
शाढ़ौरा निवासी अमन अहिरवार का भी शनिवार को विवाह कार्यक्रम था। घर पर रिश्तेदारों की पंगत और मंडप का कार्यक्रम चल रहा था। जिसकी शाढ़ौरा में ही बारात का कार्यक्रम था। अमन अहिरवार बीए फाइनल का छात्र है और शनिवार को परीक्षा थी तो वह परीक्षा देने कॉलेज पहुंचा और फिर अपने विवाह के कार्यक्रम में शामिल हुआ।
राजतला गांव निवासी खुशी कुशवाह की शनिवार को परीक्षा थी। जिसका दो माह का बच्चा भी है। देवर 11 किमी दूर गांव से कॉलेज में परीक्षा दिलाने लाया और पार्क में देवर बच्चे को संभालता रहा, खुशी कुशवाह ने कक्ष में बैठकर परीक्षा दी। इस दौरान जब बच्चा रोने लगता तो देवर उसे परीक्षा कक्ष तक लेकर पहुंचता जहां खुशी बच्चे को फीडिंग कराती।
पिपरई निवासी उजाला अहिरवार भी बीए फाइनल की छात्रा है, जिसका चार माह का बच्चा है। परीक्षा थी तो वह अपनी ननद को साथ लेकर कॉलेज आई। ननद चार माह के बच्चे को पार्क में लेकर बैठी रही और उजाला अहिरवार ने परीक्षा कक्ष में परीक्षा दी। परीक्षा के दौरान ही सीढ़ियों पर बैठकर उजाला ने अपने रोते हुए बच्चे को सहलाकर चुप कराया।