occupation in government land: मध्य प्रदेश की पर्यटन नगरी के नाम से प्रसिद्द चंदेरी में शासकीय जमीनों पर कब्जों से प्रशासन परेशान है। इस पर अशोकनगर कलेक्टर ने जांच दिए है।
occupation in government land: मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक और पर्यटन नगरी चंदेरी में शासकीय जमीनों पर कब्जों का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सरकारी जमीनों पर खड़े हजारों पेड़ और कुएं प्रशासन के रिकॉर्ड में निजी लोगों के नाम पर दर्ज हैं, जिससे वही लोग इनका उपयोग कर रहे हैं। इस गड़बड़ी के बावजूद प्रशासन अब तक कोई ठोस सुधार नहीं कर सका है।
चंदेरी कस्बे की कई शासकीय भूमि के खसरा रिकॉर्ड में ‘कैफियत’ कॉलम में पेड़ों और कुओं की संख्या दर्ज है, साथ ही यह भी लिखा गया है कि इनका स्वामित्व किन व्यक्तियों के पास है। इसका सीधा अर्थ यह है कि ये लोग इन पेड़ों के फलों का उपयोग कर सकते हैं और कुओं के पानी का अधिकार भी उन्हीं के पास है। इससे सरकारी जमीनों पर इनका अप्रत्यक्ष कब्जा बना हुआ है।
जांच में सामने आया कि कई ऐसे नाम दर्ज हैं, जिनकी 50-60 साल पहले मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके वारिस अब भी उन संपत्तियों का लाभ उठा रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि राजस्व विभाग की अनदेखी के कारण वर्षों से सरकारी जमीनों पर लोगों का कब्जा बना हुआ है।
चंदेरी विधायक जगन्नाथसिंह रघुवंशी ने इस गंभीर मामले को विधानसभा में उठाया। 13 मार्च को राजस्व मंत्री करणसिंह वर्मा ने जवाब देते हुए खुलासा किया कि चंदेरी कस्बे के कई शासकीय सर्वे नंबरों में पेड़ों, कुओं और रेहट आदि पर निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज हैं। उदाहरण के लिए, सर्वे नंबर 80 में बेर के तीन पेड़, खिन्नी का एक पेड़ और इमली का एक पेड़ अब्दुल गनी के नाम दर्ज हैं।
अधिकारियों का कहना है कि कुछ मामलों में ये प्रविष्टियां 1972-73 से रिकॉर्ड में हैं, तो कुछ मिसल बंदोबस्त के समय से चली आ रही हैं। तीन महीने पहले इस मामले की शिकायत कलेक्टर से की गई थी, जिसके बाद इसे टीएल बैठक में शामिल कर जांच शुरू की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर शासकीय जमीनों के खसरा रिकॉर्ड में इस तरह निजी नाम दर्ज रहे, तो भविष्य में किसी सरकारी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करना मुश्किल हो सकता है। चंदेरी का ऐतिहासिक और पर्यटन महत्व लगातार बढ़ रहा है, और फिल्म इंडस्ट्री का भी इसमें रुझान बढ़ा है। ऐसे में अगर सरकार को जमीन की जरूरत पड़ी, तो ये लोग न्यायालय में जाकर आपत्ति दर्ज कर सकते हैं, जिससे विकास कार्य बाधित हो सकते हैं।
इस मामले में चंदेरी विधायक जगन्नाथसिंह रघुवंशी का कहना है कि सरकारी जमीनों पर पेड़, कुएं, बावड़ियों और अन्य पुरातात्विक महत्व की संपत्तियों को निजी लोगों के नाम दर्ज करना गंभीर लापरवाही है। उन्होंने कहा कि 'मैंने विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया है और मामले में कार्रवाई कराकर सुधार कराया जाएगा।' इस पर कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी ने कहा कि इस मामले की जांच जारी है। पुराने बंदोबस्त की जिल्द में ये प्रविष्टियां दर्ज हैं। अगर नियमों के अनुसार सुधार की जरूरत पड़ी, तो कैफियत से निजी नाम हटाए जाएंगे।