abujh muhurat 2025: हिंदू धर्म के अनुसार हर काम शुभ समय मुहूर्त में करना चाहिए ताकि देवी देवताओं के आशीर्वाद से वह सफल हो। लेकिन कुछ समय ऐसे भी माने गए हैं जब शुभ समय देखने की जरूरत नहीं होती, उस दिन का पूरा समय ही मंगलकारी होता है, जिन्हें अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। आइये जानते हैं कब-कब अबूझ मुहूर्त हैं ..
abujh muhurat 2025 february 2025: हिंदू धर्म में विवाह एक संस्कार (परिष्कार की एक सीढ़ी) है, जिसके बाद व्यक्ति गृहस्थ आश्रम और उसकी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार किया जाता है।
इसी से दांपत्य जीवन की शुरुआत होती है यानी दांपत्य जीवन में कोई बाधा न आए, उसकी उन्नति हो और इस जोड़े पर देवी-देवताओं का आशीर्वाद रहे, इसके लिए शुभ ग्रह प्रेम समृद्धि के कारक शुक्र, भाग्य के कारक बृहस्पति उदित अवस्था में रहें, खरमास न चल रहा हो, साथ ही अशुभ समय न चल रहा हो। इसका ध्यान रखकर शुभ नक्षत्र, वार शुभ समय के आधार पर शुभ विवाह मुहूर्त निकाला जाता है। इसीमें विवाह संस्कार कराया जाता है।
लेकिन कुछ ऐसे मुहूर्त होते हैं जिसके लिए समय देखने की जरूरत है इसमें किए गए काम में उद्देश्य की सफलता के चांस अधिकतम रहते हैं। इसीलिए इन्हें अबूझ मुहूर्त कहते हैं। ऐसी ही एक अबूझ मुहूर्त फरवरी में है, आइये जानते हैं कब-कब अबूझ मुहूर्त है ..
abujh muhurat 2025: डॉ. अनीष व्यास के अनुसार अबूझ मुहूर्त ऐसे दिन होते हैं जब दिन में कोई शुभ मुहूर्त न होते हुए भी मांगलिक काम बिना सोचे-समझे किए जा सकते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर वर्ष कुल पांच सिद्ध मुहूर्त यानी अबूझ मुहूर्त होते हैं।
ये अबूझ मुहूर्त देवउठनी एकादशी, बसंत पंचमी, फुलेरा या फुलरिया दूज, अक्षय तृतीया और विजयादशमी होती है। इन पांच दिनों में कोई शुभ मुहूर्त न होने पर भी बिना देखे विवाह जैसे मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं क्योंकि इन्हें अपने आप में सिद्ध मुहूर्त माना जाता है।
abujh muhurat 2025: पंचांग के अनुसार साल 2025 का पहला अबूझ मुहूर्त वसंत पंचमी 2 फरवरी को है। इस दिन यानी माघ शुक्ल पंचमी को विद्या की देवी सरस्वती की पूजा का दिन है।
इस दिन भक्त मां सरस्वती का प्राकट्य उत्सव भी मनाते हैं। इस दिन को सिद्ध मुहूर्त में गिना जाता है और बिना शुभ समय देखे सारे मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। आइये जानते हैं कब-कब हैं अन्य अबूझ मुहूर्त
साल 2025 के अन्य 4 अबूझ विवाह मुहूर्त ये हैं
abujh muhurat 2025: फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज पर्व मनाया जाता है, यह तिथि अबूझ मुहूर्तों में शामिल है और 2025 में 1 मार्च को है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह दिन दोषों से मुक्त होता है। इसीलिए सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों विशेष रूप से विवाह समारोहों के लिए ये अबूझ मुहूर्त है। हालांकि कुछ ज्योतिषी इससे सहमत नहीं हैं।
यह तिथि वसंत पंचमी और होली के मध्य में पड़ती है और विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र यानी मथुरा-वृन्दावन के एरिया में मनाया जाता है। इस पर्व पर कृष्ण मंदिरों में विशेष झांकी दर्शन का आयोजन होता है।
वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया तिथि भगवान विष्णु द्वारा शासित है और विवाह के अबूझ मुहूर्त में शामिल है। मान्यता है कि त्रेता युग का आरंभ इसी दिन हुआ था। भगवान विष्णु ने अपना छठा अवतार परशुराम अवतार इसी दिन लिया था। हालांकि कभी-कभी परशुराम जयंती अक्षय तृतीया से एक दिन पहले भी पड़ जाती है। इस साल अक्षय तृतीया 2025 ग्रेगोरियर कैलेंडर से 30 अप्रैल को है।
हिंदू धर्म में इस तिथि को सर्वाधिक शुभ तिथि में शामिल किया जाता है। इस दिन अखा तीज पर्व मनाते हैं। इसमें बुधवार को रोहिणी नक्षत्र वाले दिन की अक्षय तृतीया विशेष होती है। मान्यता है कि इस दिन किए काम मेंकभी कम न होने वाला शुभ फल मिलता है। इसीलिए इस दिन कोई भी जप, यज्ञ, पितृ-तर्पण, दान-पुण्य करने से मिला फल स्थायी रूप से व्यक्ति के साथ रहता है। इस दिन किए कामों से सौभाग्य का साथ मिलता है, जिससे सफलता मिलती है। इसीलिए अधिकांश व्यक्ति इस दिन सोना आदि खरीदते हैं।
आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी तिथि यानी विजयादशमी भी अबूझ मुहूर्त में शामिल है। इस तिथि पर भगवान राम ने त्रेता युगम में राक्षण रावण का वध कर विजय पाई थी। इसी दिन मां दुर्गा ने भी पूर्व काल में महिषासुर नाम के दैत्य का वध किया था। इस दिन शमी पूजा, अपराजिता पूजा और सीमा अवलंघन या सीमोल्लंघन जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। साल 2025 में विजयदशमी 2 अक्टूबर गुरुवार को है।
देवउठनी एकादशी यानी कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि को भी अबूझ मुहूर्त में गिना जाता है। मान्यता है कि आषाढ़ देव शयनी एकादशी के 4 माह बाद इसी तिथि पर भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। इस तिथि पर भी विवाह आदि मांगलिक कार्य शुभ माने जाते हैं। इस साल 2025 में देवउठनी एकादशी 01 नवंबर को है।
ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार वर-वधू के कुंडली मिलान या गुण मिलान के बाद रिश्ता पक्का होने पर विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। इस क्रम में जन्म राशि पर आधारित विवाह मुहूर्त प्राप्त करने के लिए तिथि, नक्षत्र, वार और समय को निकाला जाता है। इसके तहत जिस चंद्र नक्षत्र में वर-वधू का जन्म होता है, उस नक्षत्र के चरण के तहत आने वाले अक्षर का भी उपयोग विवाह की तिथि निर्धारित करने में किया जाता है।