chandra grahan 2025: आज साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण है, हालांकि यह भारत में दृश्य नहीं होगा और कर्मकांड अनुष्ठान करने की जरूरत नहीं है। लेकिन जानते हैं कि दृश्य होने के समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए
chandra grahan 2025: हिंदू धर्म में ग्रहण का बड़ा महत्व है। चाहे चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण, मान्यता है कि इसमें दोनों देव संकट में होते हैं।
ऐसे में धार्मिक ग्रंथों में कई गतिविधियों पर रोक लगाई गई है। जबकि ग्रहण के समय और ग्रहण के बाद कुछ काम अनिवार्य रूप से करने की सलाह दी गई है। आइये जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा पर लग रहे साल के दूसरे और आखिरी चंद्र ग्रहण पर कौन से काम करें और कौन से काम न करें…
धार्मिक मान्यता के अनुसार ग्रहण के समय तेल मालिश करना, जल ग्रहण करना, मल-मूत्र विसर्जन, बालों में कंघा करना, मंजन दातुन करना और यौन गतिविधियां नहीं करना चाहिए। ग्रंथों में ग्रहण काल के दौरान इन कार्यों पर पूर्णतः रोक लगाई गई है।
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1.ग्रहण काल के समय गर्भवती स्त्रियों को घर से बाहर निकलने से रोका गया है। मान्यता है कि इस समय राहु और केतु के दुष्प्रभाव के कारण गर्भस्थ शिशु शारीरिक रूप से अक्षम हो सकता है।
2. गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण काल में घर से बाहर रहने पर गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है।
3. ग्रहणकाल में गर्भवती स्त्रियों को वस्त्र आदि काटने या सिलने और ऐसे अन्य कार्य, नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल करने से रोका गया है। मान्यता है कि इन गतिविधियों का भी गर्भस्थ शिशु पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय घर से बाहर निकलने सहित तमाम कामों पर रोक लगाई गई है। यहां तक कि मंदिरों के दरवाजे तक बंद रहते हैं, इस समय भोजन आदि भी वर्जित है। ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि ग्रहण के समय क्या करना चाहिए।
इसका जवाब भी धार्मिक ग्रंथों में दिया गया है, उनके अनुसार भले मंदिर के दरवाजे बंद हैं, लेकिन इस समय भगवान का ध्यान घर में रहकर करने पर कोई रोक नहीं है। इसलिए ग्रहण के समय इन मंत्रों को जपना चाहिए …
तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।
हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥1॥
अर्थः अन्धकाररूप महाभीम चंद्र-सूर्य का मर्दन करने वाले राहु! सुवर्णतारा दान से मुझे शान्ति प्रदान करें।
विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।
दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥2॥
अर्थः सिंहिकानंदन अच्युत! हे विधुन्तुद, नाग के इस दान से ग्रहणजनित भय से मेरी रक्षा करो।
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कई लोगों का सवाल यह भी होता है कि ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए या ग्रहण के बाद कौन से अनुष्ठान करने चाहिए। यहां जानते हैं ग्रहण की सावधानियां …
1.चंद्र ग्रहण से पहले से बने हुए भोजन को फेंक दें और ग्रहण के बाद मात्र स्वच्छ और ताजा बने हुए भोजन का ही सेवन करें।
2. गेहूं, चावल, अन्य अनाज और अचार इत्यादि जिन्हें फेंका नहीं जा सकता, इन खाद्य पदार्थों में ग्रहण से पहले ही कुश घास और तुलसी दल डालकर ग्रहण के दुष्प्रभाव से संरक्षित किया जाना चाहिए।
3. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान आदि करके, संभव है तो घर और मंदिर को पानी में गंगाजल डालकर धोएं और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। ग्रहण के बाद दान करना अत्यन्त शुभ फलदायक माना जाता है।
नोटः ये सभी धार्मिक कर्मकांड उन्हीं क्षेत्रों में करने की जरूरत होती है, जहां ग्रहण दृश्य हो।