Gemology: ज्योतिष शास्त्र में रत्नों को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। अपनी राशि के अनुसार रत्न धारण करने से जातक हमेशा शुभ फल की प्राप्ति होती है। आज हम बात करेंगे कि पुखराज रत्न किन राशि वालों को धारण करना चाहिए और इसके नियम के बारे में।
Gemology: ज्योतिष शास्त्र में रत्नों को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। अपनी राशि के अनुसार रत्न धारण करने से जातक हमेशा शुभ फल की प्राप्ति होती है। आज हम बात करेंगे कि पुखराज रत्न किन राशि वालों को धारण करना चाहिए और इसके नियम के बारे में।
Gemology: रत्न शास्त्र ज्योतिष शास्त्र का एक अहम हिस्सा है। इसके अंतर्गत रत्नों के बारे में बताया गया है। हमारे जीवन में रत्नों का बहुत ही खास महत्व है। रत्नों को धारण करने से हमारी बंद किस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं , लेकिन रत्नों को हमेशा ज्योतिष सलाह के बाद ही पहनना चाहिए। यदि हम बिना किसी ज्योतिष सलाह के रत्न धारण कर लेते हैं को हमें फायदे की जगह नुकसान झेलना पड़ सकता है। नौ रत्नों में से एक रत्न पुखराज रत्न होता है। ये रत्न चमकीले पीले रंग का होता है। ऐसी मान्यता है कि इस रत्न को धारण करने से जातक को मानसिक शांति प्राप्त होती है। आइए जानते हैं ये रत्न किन राशिवालों के लिए शुभ रहता है।
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रत्न शास्त्र के अनुसार मेष, वृषभ, सिंह, धनु और मीन राशि वालों के लिए पुखराज रत्न धारण करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। इस रत्न को धारण करने से इन राशि वालों के जीवन में सुख, समृद्धि आती है। इसके साथ ही इस रत्न को पहनने से कारोबार में भी तरक्की मिलती है। इस रत्न को पहनने से वैवाहिक जीवन में भी खुशहाली आती है।
रत्न शास्त्र में पुखराज रत्न को गुरु ग्रह का रत्न माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति कमजोर होती है उन लोगों को पुखराज रत्न धारण करना चाहिए। इस रत्न को धारण करने से गुरु की स्थिति मजबूत होती है। इस रत्न को पहनने से पाचन शक्ति भी अच्छी होती है और सेहत भी अच्छी रहती है। कारोबार में तरक्की पाने के लिए भी इस रत्न को लाभकारी माना गया है। पुखराज धारण करने से व्यक्ति का मानसिक विकास भी तेज गति से होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुखराज रत्न को हमेशा बृहस्पतिवार के दिन पहनना शुभ माना गया है। इस रत्न को हमेशा 5 या 7 कैरेट के सोने की अंगूठी में गढ़वा धारण करना चाहिए। इसे पहनने से पहले दूध में गंगाजल मिलकार डालें और अच्छे शुद्ध करके ' ऊं ब्रह्म बृहस्पतये नमः' मंत्र का जाप करें और भगवान बृहस्पति के चरणों में रखें। फिर उठाकर आप इसे धारण कर सकते हैं।