स्वतंत्र भारत में वर्ष 2011 में जातिगत जनगणना हुई। लेकिन 2014 में देश की सरकार बदलने के बाद इन आंकड़ों को जारी नहीं किया गया। वर्ष 1931 में हुई जनगणना में ओबीसी जाति के लोगों की संख्या 52 प्रतिशत थी। जिसके बाद सभी राज्यों को ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत की […]
स्वतंत्र भारत में वर्ष 2011 में जातिगत जनगणना हुई। लेकिन 2014 में देश की सरकार बदलने के बाद इन आंकड़ों को जारी नहीं किया गया। वर्ष 1931 में हुई जनगणना में ओबीसी जाति के लोगों की संख्या 52 प्रतिशत थी। जिसके बाद सभी राज्यों को ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत की गई। लेकिन 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल रहा है।
बालाघाट. जातिगत जनगणना को लेकर अब जिले से भी मांग उठने लगी है। रविवार को अलग-अलग संगठनों के पदाधिकारियों ने इसकी मांग रखी है। विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों ने पत्रकारों से चर्चा कर ओबीसी की जातिगत जनगणना कराए जाने की मांग उठाई है।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए युवा नेता महेश सहारे ने कहा कि स्वतंत्र भारत में वर्ष 2011 में जातिगत जनगणना हुई। लेकिन 2014 में देश की सरकार बदलने के बाद इन आंकड़ों को जारी नहीं किया गया। वर्ष 1931 में हुई जनगणना में ओबीसी जाति के लोगों की संख्या 52 प्रतिशत थी। जिसके बाद सभी राज्यों को ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की वकालत की गई। लेकिन 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल रहा है। संविधान के अनुसार 14 प्रतिशत आरक्षण भी ओबीसी वर्ग को नहीं मिल रहा है। 1951 से लेकर 2011 तक अनुसूचित जाति, जनजाति की हुई जनगणना में आंकड़े जारी किए गए। लेकिन ओबीसी के आंकड़े जारी नहीं किए गए। जिसके कारण ओबीसी वर्ग को सामाजिक न्याय नहीं मिल पा रहा है।
पूर्व जिला पंचायत सदस्य उम्मेद लिल्हारे ने कहा कि पंचायत, जनपद और जिला पंचायत में तो ओबीसी के लिए सीटें आरक्षित की जाती है। लेकिन सांसद और विधायक चुनाव में नहीं। अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के प्रतिनिधि रहीम खान ने कहा कि सरकार ने सितंबर में जनगणना कराए जाने के संकेत दिए है। हमारी मांग है कि सरकार उसे जाति जनगणना का नाम देकर सभी जातियों की जनगणना कराए। आदिवासी नेता दिनेश धुर्वे ने कहा कि सरकार ओबीसी की जाति जनगणना कराकर उन्हें केन्द्र और राज्य की सरकारों में भागीदारी सुनिश्चित करें। युवा नेता राजकुमार नागेश्वर ने कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति की जातिगत सूची बनी है। ओबीसी जातिगत जनगणना 2011 में होने के बाद उसके आंकड़े जारी नहीं किए गए है। इसके अलावा अन्य संगठनों के पदाधिकारियों ने भी जातिगत जनगणना को लेकर अपना-अपना पक्ष रखा।