बैंगलोर

त्वरित, सुलभ और किफायती न्याय सुनिश्चित करना सामूहिक जिम्मेदारी : राज्यपाल गहलोत

राज्यपाल गहलोत ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कानून को सामाजिक परिवर्तन का प्रभावशाली साधन माना था। कानून को समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों से जोड़ा था। उनका मानना था कि कानून तभी सार्थक बनता है जब समाज में उसे नैतिक स्वीकृति प्राप्त हो।

less than 1 minute read
Nov 06, 2025

दुनिया डिजिटल क्रांति, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर लॉ, डेटा संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय न्याय के क्षेत्रों में तेजी से बदलाव देख रही है। ऐसे समय में कानून के छात्रों के लिए यह आवश्यक है कि वे पारंपरिक विधि अध्ययन के साथ-साथ समकालीन तकनीकी और वैश्विक चुनौतियों की भी समझ विकसित करें।

न्याय मौलिक अधिकार

यह बात राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कही। वे बुधवार को हुब्बल्ली स्थित कर्नाटक राज्य विधि विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, न्याय तक पहुंच हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। ई-कोर्ट, ऑनलाइन कानूनी सहायता और डिजिटल विधि शिक्षा जैसे कदम न्याय प्रणाली को पारदर्शी, कुशल और सुलभ बनाने की दिशा में अहम हैं।

संवेदनशीलता, जिम्मेदारी और नैतिकता बनाए रखें

राज्यपाल गहलोत ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कानून को सामाजिक परिवर्तन का प्रभावशाली साधन माना था। कानून को समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे संवैधानिक मूल्यों से जोड़ा था। उनका मानना था कि कानून तभी सार्थक बनता है जब समाज में उसे नैतिक स्वीकृति प्राप्त हो। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने पेशे में संवेदनशीलता, जिम्मेदारी और नैतिकता बनाए रखें।

न्याय में विलंब एक गंभीर चुनौती

उन्होंने समय पर न्याय के महत्व पर बल देते हुए कहा, न्याय में विलंब एक गंभीर चुनौती है। त्वरित, सुलभ और किफायती न्याय सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है ताकि जनता का विश्वास न्यायपालिका में बना रहे।

इस अवसर पर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल एस. अब्दुल नजीर और वरिष्ठ अधिवक्ता वी. सुधीश पई को डॉक्टर ऑफ लॉ की मानद उपाधि प्रदान की।दीक्षांत समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश डॉ. शिवराज वी. पाटिल और कुलपति प्रो. डॉ. सी. बसवराजु सहित शिक्षक, छात्र और गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

Published on:
06 Nov 2025 06:20 pm
Also Read
View All

अगली खबर